मुंबई में होटलों के किराए इतने ज़्यादा हैं कि दूर दराज़ इलाक़ों से ईलाज की ख़ातिर आए हुए मरीज़ों को मुंबई की सड़कों पर बसेरा करना पड़ता है।
हिफ़्ज़ान-ए-सेहत की अबतर सूरत-ए-हाल उनकी सेहत पर मज़ीद मंफ़ी असरात मुरत्तिब करती है। मुल्क में ज़ेर-ए-इलाज कैंसर के मरीज़ कसमपुर्सी की हालत में सड़कों पर नज़र आते हैं। मानसून से बचने के लिए रंग बिरंगी प्लास्टिक शीटों का सहारा लेने वाले कैंसर के बेशुमार मरीज़ मुंबई की सड़कों पर रात गुज़ारने पर मजबूर हैं।
अगरचे वहां क़ायम टाटा मैमोरियल हॉस्पिटल में निहायत कम क़ीमत पर उन का ईलाज मुम्किन है ताहम हिंदुस्तान के इक़तिसादी और कारोबार मर्कज़ मुंबई में होटलों के किराए इतने ज़्यादा हैं कि दूर दराज़ के इलाक़ों से ईलाज की ख़ातिर आए हुए मरीज़ों को मुंबई की सड़कों पर ही पड़ाव डालना पड़ता है जहां हिफ़्ज़ान-ए-सेहत की अबतर सूरत-ए-हाल उनकी सेहत पर मज़ीद मनफ़ी असरात मुरत्तिब करती है।
मुंबई में क़ायम टाटा मैमोरियल हॉस्पिटल का शुमार अगरचे हिंदुस्तान में कैंसर के ईलाज के सब से बड़े और मारूफ़ दवा ख़ानों में होता है ताहम मुल्क भर से यहां आने वाले कैंसर के मरीज़ों को सर छिपाने की कोई जगह नहीं है, इसी लिए मुंबई की एक सड़क को कैंसर के मरीज़ों का ग़ैर सरकारी वार्ड कहा जाता है।
ईलाज के सिलसिले में मुंबई आई हुई छाती के कैंसर में मुबतला 55 साला लीला के शौहर सुरेश ने कहा कि यहां पर चूहे, मच्छर और गर्द-ओ-गुबार की भरमार है, हम सड़क की दूसरी तरफ़ पड़ाव डालना चाहते थे मगर पुलिस ने इजाज़त नहीं दी। यहां होटल बहुत महंगे हैं, हमारे लिए होटल में क़ियाम नामुमकिन है।