मुंबई, 31 जनवरी: हिंद-पाक रिश्तों में आई तल्खी को खत्म करने की कोशिशों के बीच मुंबई यूनिवर्सिटी के हजारों तलबा को ‘पाकिस्तान की जबानी’ मुखालिफ हिंदुस्तान सबक पढ़ाया जा रहा है। यूनिवर्सिटी के अंडर ग्रेजुएट फाउंडेशन कोर्स के दूसरे साल की एक किताब में ऐसे मवाद मौजूद है, जिसमें इंसानी हुकूक की खिलाफवरज़ी, हिंदुस्तान में तबका की तकसीम और हिन्दुस्तानी फौज पुलिस के तरफ से मुबय्यना तौर पर जातीय भेदभाव का सबक पढ़ाया जा रहा है।
चौंकाने वाली बात तो यह है कि किताब के तनाज़े वाले मवाद पाकिस्तान की दिफा की वेबसाइट से कॉपी की गई है। इस किताब के एक चैप्टर ‘ह्यूमन राइट्स वायलेशन एंड रिड्रेसल’ को लेकर पूरा तनाज़ा खड़ा हुआ है। चैप्टर के मुताबिक, ‘हिंदुस्तान एक ऐसा मुल्क है, जहां इंसानी हुकूक के हालात ठीक नहीं है।
हिंदुस्तानी फौज और पुलिस ज़ात और मज़हब की बुनियाद पर भेदभाव करती है।’ किताब के राइटर प्रोफसर माइकल वाज हैं।
प्रोफेसर वाज का इस ताल्लुक में कहना है कि उन्हें नहीं मालूम था कि उनकी किताब में जो मवाद है, वह पाकिस्तानी दिफा वेबसाइट का है। उन्होंने कहा, ‘मैं इस बारे में बात नहीं करना चाहता, लेकिन आपको यकीन दिलाता हूं कि नई किताब से सभी मुतनाज़ा मवाद (Controversial) हटा दी जाएगी। प्रोफेसर वाज ने किताब में यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर (यूआरएल) के जरिए बताया है कि उन्होंने यह मवाद कहां से ली है। इसमें एक लिंक पाकिस्तानी दिफा वेबसाइट (Defence website) की है।