माविस्टों ने मोटो इलाक़ा में पंचायत समीती के रुक्न के वालिद को गोली मार कर हलाक कर दिया। माविस्टों का कहना था कि महलूक शख़्स पुलिस का मुख़्बिर था। पुलिस ने बताया कि 40 मुसल्लह माविस्टों ने प्रभाकर मिड कामी के मकान पर हल्ला बोल दिया जो मुनीम कोन्डा पंचायत रुक्न के वालिद थे।
रात के वक़्त माविस्टों ने प्रभाकर को नींद से जगाया और उसे खींचते हुए मकान से बाहर लाकर गोली मार दी। महलूक मिड कामी की उम्र 60 साल बताई गई है। उस के बाद उन की नाश क़रीब में एक जंगल में पाई गई और जिस्म पर बंदूक़ की गोलियों के निशानात थे। पुलिस सुप्रीटेंडेंट अखिलेश्वर सिंह ने ये बात बताई।
नाश के क़रीब पुलिस के क़रीब एक पोस्टर भी पाया गया जिस पर तहरीर था कि मिड कामी को इस लिए हलाक किया गया कि वो पुलिस का मुख़्बिर था और माविस्टों की सरगर्मियों के बारे में पुलिस और बी एस एफ़ को मालूमात फ़राहम किया करता था। पोस्टर की तहरीर के ज़रिया गांव के दीगर अफ़राद को भी इंतिबाह दिया गया था कि वो ख़ुद को सेक्योरिटी फोर्सेस का मुख़्बिर ना बताएं और ना ही उनके हाथों का खिलौना बनें वर्ना उन का हश्र भी वही होगा जो मिड कामी का हुआ है।
बी एस एफ़ और पुलिस अहलकार जाये वारदात पर पहुंच गए। याद रहे कि कल भी माविस्टों की जानिब से कालीमीला के दो मवाज़आत से सात अफ़राद के अग़वा का वाक़िया रुनुमा हुआ था जबकि इससे पहले तीन अफ़राद का अग़वा किया गया था जिन में गमपाकनड मौज़ा के सरपंच का बेटा भी मग़्विया अफ़राद में शामिल था।
अग़वा का ये वाक़िया 4 दिसमबर को पेश आया था। दूसरे ही दिन तीन के मिनजुमला एक मग़्विया फ़र्द अग़वा कारों के चंगुल से भाग निकला था जबकि दीगर दो को माविस्टों ने 7 दिसम्बर को रिहा कर दिया था। याद रहे कि तावान की रक़म हासिल करने माविस्ट बेक़सूर अफ़राद का अग़वा करते हैं क्योंकि इस तरह उन्हें फंड्स की क़िल्लत से राहत मिल जाती है।
हालाँकि हुकूमत बारहा ये यक़ीन दहानी करवाती है कि अगर माविस्ट तशद्दुद तर्क करते हुए ख़ुद सपुर्द होजाएं तो उन्हें क़ौमी धारे में शामिल किया जाएगा।