इस्लामिक धर्मोपदेशक डॉ ज़ाकिर नाइक ने भारतीय मीडिया के एक हिस्से का मज़ाक उड़ाया है, जो उनके मलेशिया की नागरिकता हासिल करने की खबरें चला रहा था।
“यह खबर बिलकुल गलत है, ” ज़ाकिर नाइक के प्रवक्ता आरिफ मलिक ने कहा।
नाइक के हवाले से आरिफ ने कहा, “कुछ महीने पहले भारतीय मीडिया कह रहा था कि डॉ ज़ाकिर को मलेशिया में प्रतिबंधित कर दिया गया है, अब यह कह रहा है कि उन्हें मलेशिया की नागरिकता मिल गयी है। यह हास्यास्पद है। इस अफवाह में कोई सच्चाई नहीं है।”
मलेशिया के उप गृह मंत्री दातुक नूर जज्लन मुहम्मद ने भी इस तरह की ख़बरों का खंडन करते हुए कहा कि नागरिकता हासिल करने में लम्बा वक्त लगता है।
“हम किसी को ऐसे अपने आप नागरिकता नहीं देते जब कि वह इंसान मलेशिया में मलेशियन माँ बाप के यहाँ पैदा न हुआ हो।”
हिन्दुस्तान टाइम्स ने एक खबर में लिखा था कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी से बचने के लिए ज़ाकिर नाइक ने शायद मलेशिया में शरण ली है।
हिंदुस्तान टाइम्स ने रिपोर्ट में कहा,” ज़ाकिर नाइक के ऊपर चल रही जांच और उनके वर्तमान स्थान पर संशय के बीच, यह माना जा रहा था कि राष्ट्रिय जांच एजेंसी से बचने की रणनीति के तहत वे मलेशिया में हो सकते हैं, अब यह भी सामने आ रहा है कि उन्होंने मलेशिया की नागरिकता ले ली है।”
“जबकि ऐसा माना जा रहा है कि अफ्रीका या थाईलैंड की जगह डॉ ज़ाकिर नाइक मलेशिया में हैं, जांचकर्ताओं का कहना है कि मलेशिया से पहले कभी कोई प्रत्यर्पण नहीं कराया गया है, हालाँकि 2010 में इस पर एक सहमती बनाई गयी थी।”
इससे पहले भारतीय मीडिया ने बताया था कि मलेशिया उन देशों में से है जहाँ डॉ ज़ाकिर नाइक को प्रतिबंधित किया गया है। हालाँकि उन ख़बरों के खंडन नाइक ने यह बताते हुए किया था कि मलेशिया ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया है।
केंद्र सरकार ने हाल ही में नाइक के संगठन आईआरऍफ़ को गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए)
के तहत एक आतंकवादी संगठन की तरह मानते हुए इस पर पांच साल का प्रतिबन्ध लगा दिया है।
विदेश में मौजूद, 51 वर्षीय डॉ ज़ाकिर नाइक ने एक खुला ख़त लिखते हुए कहा था कि वे इस प्रतिबन्ध के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेंगे और उन्हें यकीन है कि न्यायपालिका मोदी सरकार के मंसूबों को पूरा नहीं होने देगी।