मुल्क के इकोनोमिक हालात‌ पर प्रधानमंत्री की गहिरी नज़र

* हालात‌ का जायज़ा लेने अहम मिटिंग, फैनान्स मंत्रालय‌ की ज़ाइद ज़िम्मेदारी सँभाल ली
नई दिल्ली । प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जिन्हों ने फैनान्स मंत्रालय‌ का क़लमदान हासिल कर लिया है। आज नायब सदर नशीन मंसूबा बंदी कमीशन मोनटक सिंह अहलुवालिया और पी एम ई ए सी चेयरमैन सी रंगा राजन के साथ‌ मुल़्क के इकोनोमिक हालात‌ का जायज़ा लिया और इकोनोमिक‌ सुस्त रफ़्तारी और पैदावार की शरह में गिरावट की वजहों पर ग़ौर किया गया । इफ़रात-ए-ज़र की शरह में बढावे के इलावा सरमाया कारी के रुजहान में कमी का भी नोट लिया गया ।

सुत्रो के मुताबिक़ प्रधानमंत्री ने ईकोनोमिक हालात‌ पर कड़ी नज़र रखी है । मोनटक सिंह अहलुवालिया और रंगा राजन ने उन्हें मुल़्क की इकोनोमिक‌ के बारे में अलग‌ अलग‌ मुलाक़ात करके तफ़सील से वाक़िफ़ करवाया है ।सुत्रो ने ये भी कहा कि प्रधानमंत्री इस मौज़ू पर फैनान्स मंत्रालय‌ के ओहदेदारों से भी बातचित‌ करेंगे।इस से पहले भारतीय‌ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने फैनान्स मंत्रालय‌ का आरिज़ी तौर पर चार्ज सँभाल लिया है , ये बात ओहदेदारों ने बुधवार‌ को बताई ।

प्रण‌ब मुखर्जी की तरफ‌ से अस्तीफ़े के बाद फैनान्स मंत्रालय‌ का ओहदा मंगलवार‌ को ख़ाली हो गया था जिन्हों ने जुलाई में राष्ट्रपती चुनाव‌ में हिस्सा लेने के लिए ये ओहदा छोड़ा है।सिंह के दफ़्तर के एक अधीकारी ने ए एफ़ पी को बताया कि प्रधानमंत्री ने एक या दो माह के लिए फैनान्स मंत्रालय‌ के कामों सँभालने का फ़ैसला किया है और नया फैनान्स मंत्री उसी वक़्त तय‌ किया जाएगा जब वो समझेंगे कि इस का सही वक़्त है ।

हिंदूस्तान की एक वक़्त की शानदार ईकोनोमिक‌ उस वक़्त सुस्त रफ़्तार सनती पैदावार माली-ओ-करंट अकाऊंट के ख़सारे की मुश्किलों से दो चार है।जनवरी से मार्च तक शरह नुमू सिर्फ़ 5.3फ़ीसद रही जो 9 सालों में समाही की सब से कम सुस्त रफ़्तार शरह है। वो इंटरनेशनल‌ मालीयाती फ़ंड के पुर्व‌ गवर्नर इस से पहले 1991 से 1996के दरमयान मुल्क के फैनान्स मंत्री रहे हैं। जब उन्हों ने शौहरत-ए-याफ़ता इस्लाहात कि शुरुआत कि थी जिस से हिंदूस्तानी ईकोनोमिक‌ के दरवाज़े खुल गए थे ।सिंह का साफ़ शफ़्फ़ाफ़ इमेज इन‌ सालों में इन की हुकूमत में आला सतह के बदउनवानी सकैंडल से धुँदला गया है और अहम इस्लाहात में यू टर्न से उन की पोलिसी पर दराड़ों और कमज़ोरीयों के इल्ज़ामात लग‌ हुए हैं।