अपने बच्चों के ताबनाक मुस्तक़बिल और क़ौम वा मलत का ख़ादिम बनाने के लिए वालिदैन की तरफ से दी जाने वाली क़ुर्बानियां एहमीयत की हामिल होती हैं न्यूज़ एडीटर आमिर अली ख़ान ने पोटी सिरी राम लोतेलुगु यवींवर्सिटी में अदबी वसकाफ़ती फ़ोर्म हैदराबाद की तरफ से तेलंगाना के पहले मुस्लिम यू पी एससी टॉपर मुहम्मद मुशर्रफ़ अली फ़ारूक़ी के एज़ाज़ में मुनाक़िदा तुहिनती तक़रीब से मेहमान-ए-ख़ुसूसी की हैसियत से ख़िताब के दौरान इन ख़्यालात का इज़हार कररहे थे।
तक़रीब की निगरानी मुहम्मद क़मरुद्दीन इंजीनियर ने की और मेहमान-ए-ख़ुसूसी की हैसियत से मुशर्रफ़ अली फ़ारूक़ी के दादा वसुदर् अलमदीना एजूकेशन सोसाइटी महबूबनगर मुहम्मद मसऊद अली फ़ारूक़ी वालिद मरतज़ाआ अली फ़ारूक़ी कमिशनर महिकमा आबकारी आई ए एस जनार्धन रेड्डी नायब सदर इक़बाल एकेडेमी ज़ियुद्दीन नय्यर पी ईला रेड्डी जनरल सेक्रेटरी फ़ोर्म यूसुफ़ बाबा के अलावा दुसरें ने भी तक़रीब से ख़िताब के ज़रीये मुशर्रफ़ अली फ़ारूक़ी को तहनियत पेश की।
अपने सिलसिला ख़िताब को जारी रखते हुए आमिर अली ख़ान ने कहा कि मुशर्रफ़ अली फ़ारूक़ी के वालिदैन ने अपने बच्चे को ए आई एस बनाने के लिए जो क़ुर्बानियां पेश की हैं वो क़ौम मिल्लत के इन तमाम वालिदैन और सरपरस्तों के मशाल राह है जो बच्चों को दौलत कमाने का ज़रीया समझते हैं।
उन्होंने कहा कि मुशर्रफ़ अली फ़ारूक़ी इंजीनीयरिंग की तकमील के बाद आई टी कंपनी में मुलाज़मत कररहे थे जहां पर उन्हें सालाना 12 लाख रुपये मुक़र्रर की गई थी बावजूद बेटे के इसरार पर वालिद ने मुलाज़मत को तर्क करके यूपी एससी इमतेहान में हिस्सा लेने के लिए अपनी रजामंदी ज़ाहिर की है वो काबिल-ए-तक़लीद इक़दाम है।
उन्होंने कहा कि 60 से 80 के दहिय तक हिंदुस्तान का तालीमी और मआशी मौक़िफ़ निहायत मुस्तहकम था और तालीमी याफ़ता लोग बैरूनी ममालिक बिलख़सूस अमरीका और लंदन जैसे ममालिक मुंतक़िल होने को तर्जीह दे रहे थे और मआशी-ओ-तालीमी तौर पर मुस्तहकम मुसलमानों की आबादी का बड़ा हिस्सा मुंतक़िल भी होगया जो यहां बच गए इन में ग़रीब मुसलमानों की अक्सरीयत थी जो कई दहों से मसाइब ज़दा गुज़ारने पर मजबूर रहे मगर 80 के बाद ख़लीजी ममालिक में मुलाज़मतों के लिए खुलने वाले दरवाज़ा मुसलमानों के लिए राहत का सबब बने।
उन्होंने कहा कि मआशी तौर पर मुसलमानों के अंदर पैदा होने वाले इस्तिहकाम ने उन्हें अपने बच्चों को तालीमी याफ़ता बनाने की तरफ मतोजहा किया। उन्होंने कहा कि पिछले चंद सालों में हुकूमत की तरफ् से मिलने वाली रियायतों और तहफ़्फुज़ात ने मुसलमानों के अंदर एक नए तालीमी इन्क़िलाब का ज़रीया बनामगर दौलत कमाने की चक्कर में नौजवानों की बड़ी तादाद दुबारा बैरूनी ममालिक की तरफ राग़िब होरहे हैं या फिर मेडिसन और इंजीनीयरिंग तक ख़ुद को महिदूद कर लेने का काम कररहे हैं।
उन्होंने कहा कि मुशर्रफ़ अली फ़ारूक़ी ने इंजीनीयरिंग और आई टी में महारत हासिल करने के बाद बारह लाख रुपये सालाना की आमदनी को ठोकर मारकर यूपी एससी इमतेहान में हिस्सा लिया जहॉ मप्र वो उन्होंने ना सिर्फ़ कामयाबी हासिल की बल्कि सर-ए-फ़हरिस्त आकर अपने वालिदैन और क़ौम मिल्लत का नाम रोशन भी किया।
उन्होंने नौजवानों से मुख़ातब होकर कहा कि वो एहसास कमतरी से बाहर निकलें और इंजीनीयरिंग या मेडिसन की तकमील के बाद भी यूपी एससी या फिर रियासती पब्लिक सरविस कमीशन के इमतेहानात में हिस्सा लें।
उन्होंने हुकूमत की तरफ से चार फ़ीसद तहफ़्फुज़ात की फ़राहमी से इस्तेफ़ादा उठाने का भी नौजवानों से गुज़ारिश की और कहा कि चार फ़ीसद के तनासुब से तेलंगाना रियासत में जो ख़ला आई ए ई एस आई पी एस मुस्लिम उम्मीदवारों के मुताल्लिक़ पैदा हुआ उस को दूर किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि हर ग्रैजूएशन कामयाब नौजवान यू पी एससी और रियासती पब्लिक सरविस कमीशन की तरफ से मुनाक़िद होने वाले इमतेहानात में शरीक होसकता है।
उन्होंने कहा कि ग्रुप वन और ग्रुप टू के इमतेहानात का भी हिस्सा बने मुस्लिम नौजवानों से अपील की और कहा कि क़ौम विमलत के अलावा अपने वतन-ए-अज़ीज़ के ख़िदमत के जज़बा से मुस्लिम नौजवानों ने यूपी एससी और रियासती पब्लिक सरविस कमीशन की तरफ् से मुनाक़िद होने वाले इमतेहानात में हिस्सा लेने की ज़रूरत है। उन्होंने सरपरस्तों से भी इस ज़िमन में संजीदा रवैय्या इख़तियार करने की अपील की।