पाकिस्तान के साबिक़ सदर परवेज़ मुशर्रफ़ की नज़रबंदी का ख़ात्मा हो गया है। उन की जमात के मुताबिक़ तमाम मुक़द्दमात में ज़मानत के बाद अब वो आज़ाद हैं। मुशर्रफ़ के ख़िलाफ़ मुजरिमाना नौईयत के चार मुक़द्दमात दर्ज हैं और अब इन तमाम मुक़द्दमात में उन्हें ज़मानत पर रिहा कर दिया गया है।
उन की जमात ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग की सेक्रेट्री आसीया इसहाक़ का कहना है: अब वो आज़ाद हैं और उन्हें नक़्लो हरकत की इजाज़त है। वो अपने ख़ानदान के अफ़राद और सयासी मुआवनीन से मिल सकते हैं।
साबिक़ फ़ौजी सरब्राह मुशर्रफ़ रवां बरस अप्रैल में ख़ुद साख़्ता जिलावतनी के बाद पाकिस्तान वापसी से ही इस्लामाबाद के एक नवाही इलाक़े में अपनी रिहायशगाह पर नज़रबंद थे।
उन्हों ने मौजूदा वज़ीरे आज़म नवाज़ शरीफ़ की 1999 में हुकूमत का तख़्ता उलट कर इक़्तेदार सँभाला था। वो 2008 तक इक़्तेदार में रहे थे। जर्मन न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक़ उन्हें मुजरिमाना नौईयत के चार मुक़द्दमात का सामना है। इन में से एक साबिक़ वज़ीरे आज़म बेनज़ीर भुट्टो के क़त्ल का मुक़द्दमा है।