बारहवीं पंच साला मंसूबा की तैयारी के लिए सरगर्मीयां तेज़ी से जारी हैं। ऐसे में मुख़्तलिफ़ तंज़ीमों के कारकुनों ने मुतालिबा किया है कि मुसलमानों की बहबूद के लिए मुख़तस फंड्स में इज़ाफ़ा किया जाए। मुल्क में अक़ल्लीयतों की हालत को बेहतर बनाने के लिए जो फंड्स मुक़र्रर हैं, इन में इज़ाफ़ा के बिशमोल मुख़्तलिफ़ इक़दामात पर ज़ोर दिया गया।
मुसलमानों की तालीमी पसमांदगी दूर करने , ग़ुर्बत के ख़ातमा, ख्वातीन को बा इख्तेयार बनाने, मआशी आज़ाद कारी के इलावा दीगर इक़दामात का मुतालिबा करते हुए नामवर समाजी कारकुनों ने मुस्लमानों के लिए मौजूदा बहबूदी प्रोग्रामों की अज़सर-ए-नौ तश्कील का मुतालिबा किया और उन के लिए मुख़्तलिफ़ फंड्स में इज़ाफ़ा पर ज़ोर दिया।
मुल्क में मुसलमानों और दीगर अक़ल्लीयती तब्क़ात की आबादी का सबसे बड़ा फ़ीसद अबतरी की ज़िंदगी गुज़ार रहा है। अदम सलामती के इलावा ये तबक़ा ग़ुर्बत और पसमांदगी से दो-चार है। मुल्क की असरी तरक़्क़ी से इस तबक़ा को महरूम रखा गया है। आने वाले बारहवीं पंच साला मंसूबा में इस जानिब ख़ुसूसी तवज्जा दी जानी चाहीए।
समाजी कारकुन शबनम हाश्मी ने कहा कि मुल्क में मुस्लमानों की मआशी , तालीमी और समाजी हालत को बेहतर बनाने के लिए पंच साला मंसूबा में एक़्दामात किए जाने चाहीऐं। अक़ल्लीयतों के लिए ग्यारहवीं पंच साला मंसूबा में सिलसिला वार स्कीमात शामिल किए गए हैं लेकिन इन में से कई स्कीमात पर हुकूमत की कोताहियों के बाइस अमल नहीं किया जा सका।
शबनम हाश्मी ने कहा कि ऐसी स्कीमात भी हैं जो ख़ुसूसीयत के साथ मुसलमानों को फ़ायदा पहुंचाने के लिए तैयार की गई हैं, इन स्कीमात का ऐलान तो किया गया लेकिन इस के फ़वाइद मुसलमानों तक नहीं पहुंच सके। मिसाल के तौर पर ग्यारहवीं पंच साला मंसूबा में मुसलमानों की बहबूद के लिए 1400 करोड़ रुपये मुख़तस किए गए जिन के मिनजुमला चार साल के दौरान 2010 11 तक सिर्फ 478 करोड़ रुपये इस्तेमाल किए गए।
शबनम हाश्मी के हमराह उन के साथी कारकुन अख्तर हुसैन, मेवथ विकास सभा के रमज़ान चौधरी, फ़ाउंडेशन बराए सियोल लिबर्टीज़ एस एम हिलाल भी थे। इन कारकुनों ने अक़ल्लीयतों को तालीमी इंफ्रास्ट्रक्चर की तरक़्क़ी में अव्वलीन तर्जीह देने का मुतालिबा किया। अक़ल्लीयतों के उमोर की देख भाल करने वाली तंज़ीमों सियोल सोसायटीज़ ग्रुप और एन जी औज़ की हौसला अफ़्ज़ाई के लिए स्कीमात वज़ा किए जाएं। बारहवीं पंच साला मंसूबा में मुसलमानों के ख़िलाफ़ इम्तियाज़ी सुलूक और तास्सुब पसंदी को दूर करने पर तवज्जा दी जाए। इस मंसूबा में तालीम पर तवज्जा देते हुए ख़ुसूसी प्रोग्राम्स वज़ा किए जाए।