हैदराबाद 20 दिसंबर: मुसलमानों को आरक्षण देने की सिफारिश से पहले बीबीसी आयोग को चाहिए कि अन्य पसमांदा तबक़ात की सूरत-एहाल का जायजा लेते हुए सरकार को रिपोर्ट पेश करे। अगर बीबीसी आयोग केवल सुधीर आयोग की सिफारिशों के आधार पर मुस्लिम आरक्षण के प्रतिशत में वृद्धि के हक़ में रिपोर्ट पेश करेंगे तो अदालत में यह आरक्षण रूकावट का शिकार हो जाएंगे। तेलंगाना के मुसलमान अपनी गंभीर पसमांदगी के कारण निराशा का शिकार हैं और बीबीसी आयोग की सिफारिशों के बावजूद अगर आरक्षण प्राप्त न हों तो राज्य में हालात बगड़सकते हैं।
2019 के आम चुनाव से पहले 2017 में ही सरकार को मुसलमानों की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है। न्यूज़ एडीटर सियासत आमिर अली खान ने बी सी आयोग के अध्यक्ष बी एस रामलो और सदस्यों से मुलाकात करते हुए बेहद बेबाकी के साथ मुसलमानों की भावनाओं की खरी खरी तौर पर प्रतिनिधित्व की।
आमिर अली खान ने साबिक़ में मुस्लिम आरक्षण के खिलाफ विभिन्न अदालती फैसलों की नकल प्रदान की और यह स्पष्ट है कि बी सी आयोग जिस अंदाज में रिपोर्ट तैयार करके गामज़न है, यह तरीका-ए-कार अदालत में टिक नहीं पाएगा। रोज़नामा सियासत की तरफ से मुस्लिम आरक्षण के हक़ में 10,000 तहरीरी नुमाइंदगीयाँ और 38,437 ईमेल नुमाइंदगीयाँ बीसी आयोग के हवाले की गई।
तेलंगाना के विभिन्न जिलों से संबंधित संगठनों और संस्थाओं के अलावा व्यक्तिगत तौर से मुसलमानों ने अपने प्रतिनिधित्व कार्यालय सियासत को रवाना की थी ।। आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों ने सियासत की तरफ से इतनी बड़ी संख्या में नुमाइंदगियों पर खुशी का इज़हार करते हुए कहा कि इससे यह साबित होता है कि सियासत ने आरक्षण के हक़ में जो शऊर बेदारी अभियान शुरू किया था, उसके बेहतर परिणाम बरामद हुए और तेलंगाना भर से जनता सियासत के इस अभियान से जुड़े हुए हैं।
आमिर अली ख़ां ने विभिन्न न्यायिक निर्णयों के संबंध में आयोग को सलाह दी कि वह जल्दबाजी में कोई फैसला करने से बचें और आयोग का इक़दाम क़ानूनी और दस्तूरी रुकावटों से पाक होना चाहीए।