मुसलमानों को तहफ़्फुज़ात, इन्क्वारी कमीशन का क़ियाम, हुकूमत पर सवालिया निशान

तेलंगाना हुकूमत ने मुसलमानों को तालीम और रोज़गार में तहफ़्फुज़ात फ़राहम करने के सिलसिले में जो इन्क्वारी कमीशन क़ायम किया है वो तहफ़्फुज़ात की फ़राहमी में मददगार साबित नहीं होसकता।

हुकूमत ने मुसलमानों को तालीम और रोज़गार में 12 फ़ीसद तहफ़्फुज़ात की फ़राहमी का वादा किया था और 9 माह गुज़रने के बाद इस सिलसिले में पसमांदा तबक़ात कमीशन के क़ियाम के बजाये एक रिटायर्ड आई ए एस ओहदेदार की क़ियादत में कमीशन आफ़ इन्क्वारी क़ायम किया गया।

किसी भी तबक़ा को तहफ़्फुज़ात की फ़राहमी के लिए बैकवर्ड क्लास कमीशन की सिफ़ारिशात ज़रूरी हैं। हुकूमत की तशकील के बाद चीफ़ मिनिस्टर ने एलान किया था कि बहुत जल्द रिटायर्ड या बरसर ख़िदमत जज की क़ियादत में कमीशन क़ायम किया जाएगा लेकिन अचानक इन्क्वारी कमीशन की तशकील से हुकूमत की संजीदगी पर सवाल उठने लगे हैं। मुसलमानों को तहफ़्फुज़ात की फ़राहमी में हुकूमत किस हद तक संजीदा है इस का अंदाज़ा कमीशन आफ़ इन्क्वारी की तशकील से होता है। तीन रुकनी कमीशन में एक रुकन का तक़र्रुर अभी बाक़ी है।

इन्क्वारी कमीशन को तेलंगाना में मुसलमानों की तालीमी, मआशी और समाजी मौक़िफ़ का जायज़ा लेने की ज़िम्मेदारी दी गई। साथ ही साथ मुसलमानों को तहफ़्फुज़ात की फ़राहमी के बारे में भी राए तलब की गई है। ये कमीशन 6माह में अपनी रिपोर्ट पेश करदेगा। इसी दौरान तहफ़्फुज़ात के दस्तूरी और क़ानूनी मौक़िफ़ के माहिरीन का कहना हैके कमीशन आफ़ इन्क्वारी का क़ियाम महिज़ दिलजोई की कोशिश है और कमीशन की सिफ़ारिशात को कोई क़ानूनी और दस्तूरी मौक़िफ़ हासिल नहीं होगा। मंडल कमीशन के मुक़द्दमा में सुप्रीम कोर्ट ने वाज़िह तौर पर कहा था कि सिर्फ़ बैकवर्ड क्लास कमीशन ही किसी तबक़ा को पसमांदा क़रार देते हुए तहफ़्फुज़ात की सिफ़ारिश करसकता है। बैकवर्ड क्लासेस कमीशन बाक़ायदा एक दस्तूरी इदारा है।

तेलंगाना हुकूमत ने बैकवर्ड क्लासेस कमीशन के क़ियाम के बजाये कमीशन आफ़ इन्क्वारी तशकील दिया।एक सीनीयर रिटायर्ड आई ए एस ओहदेदार जो राज शेखर रेड्डी दौरे हुकूमत में तहफ़्फुज़ात की फ़राहमी में अहम रोल अदा करचुके हैं, इन का कहना हैके तेलंगाना हुकूमत को इन्क्वारी कमीशन की रिपोर्ट के बाद अलाहिदा बैकवर्ड क्लासेस कमीशन क़ायम करना पड़ेगा चूँकि मौजूदा कमीशन की दोनों रियासतों में तक़सीम-ए-अमल में नहीं आई है लिहाज़ा पहले कमीशन को तक़सीम करना होगा इस के बाद सदर नशीन का चुनाव किया जाना चाहीए जो रिटायर्ड या बरसर ख़िदमत हाईकोर्ट जज के रुतबा के हामिल हूँ।

उन्होंने कहा कि किसी भी तबक़ा को पसमांदा तबक़ात की फ़हरिस्त में शामिल करना या फ़हरिस्त से ख़ारिज करना बैकवर्ड क्लासेस कमीशन की ज़िम्मेदारी है। मौजूदा इन्क्वारी कमीशन की रिपोर्ट की क़ानूनी हैसियत के बारे में सीनीयर ओहदेदार ने कहा कि उसकी सिफ़ारिशात को क़बूल करने के लिए हुकूमत पाबंद नहीं।

अगर उसकी रिपोर्ट बैकवर्ड क्लासेस कमीशन को पेश की जाती है तब भी कमीशन अपने तौर पर मुसलमानों के मौक़िफ़ के बारे में सर्वे करेगा। राज शेखर रेड्डी दौरे हुकूमत में पी एस कृष्णन कमेटी की रिपोर्ट जस्टिस वि सुब्रामणियम की ज़ेरे क़ियादत बी सी कमीशन के हवाला की गई थी। कमीशन ने तमाम अज़ला का सर्वे करते हुए पहली मर्तबा 5 फ़ीसद तहफ़्फुज़ात की फ़राहमी की सिफ़ारिश की थी जिसे अदालत ने कलादम कर दिया। दूसरी मर्तबा पी एस कृष्णन कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में मुसलमानों की पसमांदगी की बुनियाद पर अलाहिदा ज़ुमरे के क़ियाम की सिफ़ारिश की जिस की बुनियाद पर मुसलमानों को बी सी ई ज़ुमरे में शामिल करते हुए 4 फ़ीसद तहफ़्फुज़ात की सिफ़ारिश की गई। तहफ़्फुज़ात का मसला हाईकोर्ट से निकल कर अब सुप्रीम कोर्ट में ज़ेर अलतवा है।

5 फ़ीसद और 4 फ़ीसद तहफ़्फुज़ात के दोनों मुआमले अभी भी सुप्रीम कोर्ट में ज़ेर अलतवा हैं। माहिरीन की राए हैके हुकूमत को चाहीए था कि वो मौजूदा इन्क्वारी कमीशन को ही बैकवर्ड क्लासेस कमीशन में तबदील करदेती। माहिरीन के मुताबिक़ किसी भी रियासत को 50 फ़ीसद से ज़ाइद तहफ़्फुज़ात की फ़राहमी का इख़तियार हासिल है ताहम उसे इस का जवाज़ पेश करना होगा। टामिलनाडु में 69 फ़ीसद तहफ़्फुज़ात हैं और पिछ्ले 40 बरसों से ये मुआमला सुप्रीम कोर्ट में ज़ेर दौरान है लेकिन तहफ़्फुज़ात पर अमल आवरी जारी है।

माहिरीन के मुताबिक़ मौजूदा इन्क्वारी कमीशन की सिफ़ारिशात को हुकूमत असेंबली में पेश करने की पाबंद नहीं जबकि अगर अक़लियती कमीशन के ज़रीये ये काम अंजाम दिया जाता तो उसकी रिपोर्ट और सिफ़ारिशात को असेंबली में पेश करते हुए मंज़ूरी हासिल की जा सकती थी।

दरअसल तेलंगाना हुकूमत ने इन्क्वारी कमीशन के ज़रीये तहफ़्फुज़ात के मुआमले को आइन्दा छः माह तक के लिए टाल दिया है। मुक़र्ररा वक़्त पर सिफ़ारिशात की पेशकशी की सूरत में हुकूमत को नए बी सी कमीशन की तशकील के इक़दामात करने होंगे। दिलचस्प बात तो ये हैके मौजूदा हुकूमत के एडवोकेट जनरल राम कृष्णा रेड्डी तहफ़्फुज़ात के कट्टर मुख़ालिफ़ हैं।