मुसलमान अपनी सफों में इत्तिहाद पैदा करें : मौलाना अबुल कलाम

मौलाना अबुल कलाम कासमी समशी चेयरमैन सोशल एसोसिएशन फोरम एजुकेशनल एंड डेवलपमेंट ने प्रेस रिलीज में कहा है की मोरखा 21 , 22 मार्च 2015 को जमीयतुल हुदया जयपुर मेन ऑल इंडिया मुस्लिम पेर्सनल बोर्ड का 24वां इजलास मुनक्कीद हुआ। इजलास निहायत ही कामयाब रहा इस इजलास के जरिये जारी किए गए अलामिया नहनुमाई मौजूद है। अलामिया में उम्मत मुस्लिम के दरमियान इत्तिफ़ाक़ व इत्तिहाद बरकरार रखने के लिए पूरी रहनुमाई मौजूद है। मुसलमानों को मुश्तईल करने के लिए फिरका परस्त ताकतों के जरिये जो हरबे इस्तेमाल किए जाते हैं इस सिलसिले में भी वाजेह पैगाम मौजूद है। इस पैगाम और रहनुमाई को आम करने की ज़रूरत है। ताकि खास तौर पर उम्मत मुसलमा इस से रहनुमाई हासिल करे। अलामिया का पैगाम ये है। हर गिरोह में फिक्र व नज़र का एख्तिलाफ़ मौजूद होता है। मुसलमानों मेन भी मुसलिक व मशरिब का एख्तिलाफ़ पाया जाता है लेकिन दिन की बुनियादी बातों पर पूरी उम्मत का इत्तिफ़ाक़ है, इस वक़्त उम्मत इसलामिया हिन्द जिस सुरते हाल से दो चार है वो हद दर्जा काबिल तवज्जो और लायक फिक्र है, इस वक़्त अगर मुसलमानों ने अपनी साफों में वहीदत पैदा नहीं की तो खतरा है के मुल्क दुश्मन, क़ौम दुश्मन और फिरका परस्त ताक़तें अपनी साजिश में कामियाब हो जाएँ, अक़लियतों को उन के हुकुक से महरूम कर दिया जाये और मुल्क के दस्तूरी ढांचे को तब्दील करने की कोशिश में कामियाब हो जाये, इस लिए तमाम मुसलमानों का फ़रिजा है की वो मिल्लत के मुश्तरका मुफ़ादात के लिए मुत्तहिद रहें, और मुसलिक व मशरिब के एख्तिलाफ़ के बावजूद अपनी सफ़ों में बिखराव न पैदा होने दें। सब्र से काम लेते हैं। अल्लाह इस के साथ होता है, लेकिन सब्र के मनी ज़ुल्म के सामने सरनगों हो जाना नहीं है। बल्कि सब्र से मुराद है इश्तआल से बचते होइए मौसर तदबीर का एख्तियार करना है। फिरका परस्त ताक़तें चाहती हैं की मुसलमान मुश्तईल हो जाएँ आर खास कर मुस्लिम नौजवान बे क़ाबू हो कर अपने हाथ में ले लें। इस तरह मुसलमानों को रुसवा और तन्हा कर दिया जाये और उनके खिलाफ ज़ुल्म व ज्यादती करने का ज्वाज़ हाथ आ जाये। इस लिए हमेशा और खास कर मौजूदा सुरते हाल में मुसलमानों को चाहिए के पुर अमन तरीका पर कानून के दायरे में रहते हुये जद्दो-जहद करें और हरगिज़ बे बर्दाश्त न हों। जिन लोगों के पास दलील की ताक़त नहीं होती वो तशद्दुद और इश्तेआल अंगेजी का सहारा लेते हैं। हम एक दावा उम्मत हैं, हम आखरी किताब इलाहि के हमील हैं। हमारे पास इस्लाम की रोशन तालिमात हैं के अगर उनको सही तौर पर पेश किया जाए तो गलत फहमियों की तारीकी छुट जाए। इस लिए हमें मुस्तईल और बे बर्दाश्त होने के बाजाए दलील व हिकमत के साथ अपना दाईयाना फ़रिजा अदा करना चाहिए। यही हमारी सबसे बड़ी ताक़त है और इसी तरीका पर हम अल्लाह की मदद हासिल कर सकते हैं।