अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए होनी बहसों में मुद्दा हमेशा आतंकवाद, बेरोजगारी से डॉलर के रेट बढ़ता और गिरना रहता है। लेकिन इसबार के चुनाव की बहस में इस्लाफोबिया भी छाया रहा है। इस्लामफोबिया पर हिलेरी क्लिंटन और डोनाल्ड ट्रंप से सोमवार (10 अक्टूबर) तीखी बहस हुई। राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी से पहले भी डोनाल्ड ट्रंप अपमे मुस्लिम विरोधी दिये गये बयान से चर्चा में आये थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि मुस्लिमों को अमेरिका के इंट्री पर बैन लगा देना चाहिए। हिलेरी क्लिंटन ने अमेरिका में मुस्लिमों का प्रवेश प्रतिबंधित करने की डोनाल्ड ट्रंप की योजना को लेकर आड़े हाथों लेते हुए कहा कि (मुस्लिम) समुदाय के बारे में डोनाल्ड ट्रंम्प की सोच अपरिप्कव है।
डोनाल्ड ट्रंप ने इस्लामफोबिया पर क्या कहा-
हम सीरिया जैसे देशों की तबाही से वाकिफ है, क्या अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और हिलेरी क्लिंटन चाहते हैं अमेरिका की भी यही हाल हो ।
हमारे देश में ऐसे लोगों की इंट्री कैसे दे सकते हैं जिनके बारे में हमें पता ही नहीं है कि वे कौन हैं, कहां से हैं और हमारे देश को लेकर उनकी क्या भावनाएं हैं। ट्रंप ने कहा कि वह लाखों लोगों को सीरिया से यहां आते नहीं देखना चाहते,जबकि हम उनके बारे में, उनके मूल्यों के बारे में और हमारे देश के प्रति उनके प्यार के बारे में कुछ नहीं जानते।
मुस्लिम कपल द्वारा अंजाम दिए गए सन बर्नार्डिनो जनसंहार का हवाला देते हुए कहा कि हिलेरी इस घटना का जिक्र तक नहीं करेंगी। किसी समस्या को सुलझाने के लिए आपको यह बताने में सक्षम होना चाहिए कि समस्या है क्या या फिर उसका नाम क्या है। वह नाम नहीं लेंगी और राष्ट्रपति ओबामा भी नाम नहीं लेंगे लेकिन इस समस्या का नाम है।
हिलेरी ने इस्लामफोबिया पर ट्रंप को क्या जवाब दिया-
हमारी जंग इस्लाम के के साथ नहीं हैं। हिलेरी ने कहा कि मुस्लिमों के खिलाफ ट्रंप की बेहद बेवकूफाना और खतरनाक हैं। आतंकी ऐसे बयानों के सहारे आम मुसलमानों के दिल में अमेरिका के लिए नफरत भरते हैं। हमारा देश धार्मिक स्वतंत्रता की नींव पर खड़ा है। हम अपने देश के भीतर भारी तनाव पैदा किए बिना उनकी कही बात को कैसे अंजाम दे सकते हैं? क्या जब लोग हमारे देश में आएंगे तो हम उनकी धार्मिक परीक्षाएं लेंगे? हम इस बात को लागू करने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?
यह आईएसआईएस और हिंसक जिहादी आतंकियों के लिए एक उपहार है। हम इस्लाम के साथ युद्धरत नहीं हैं और यह एक गलती है और यह आतंकियों के हाथ का खिलौना बनकर यह दिखाने लगता है कि मानो हम इस्लाम के खिलाफ युद्धरत हैं। इसलिए मैं एक ऐसा देश चाहती हूं, जहां आपके जैसे नागरिक और आपके परिवार का किसी भी अन्य की तरह स्वागत हो।
कैप्टन हुमायूं खान भी एक मुसलमान था जिसने देश की रक्षा करते हुए जान दे दी। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप के इस्लामफोबिया के शिकार हैं इसलिए ट्रंप को ये पहलू नहीं दिखेगा। हिलेरी ने कहा कि आईएसआईएस को हराने के लिए अमेरिका को मुस्लिम बहुल देशों के साथ मिलकर काम करना होगा लेकिन ट्रंप की भाषणबाजी के चलते ये देश सवाल उठा रहे हैं कि उन्हें अमेरिका के साथ सहयोग क्यों करना चाहिए?