मुस्लमानों में इत्तेहाद और तालीमी बेदारी वक़्त का तक़ाज़ा

अल्लाह से में दुआ गो हूँ और मेरी दिली आरज़ू हैके दुनिया भर में रहने वाले तमाम मुसलमानों का तालीमी मआशी और समाजी मौक़िफ़ सब से बेहतरीन रहे।

पुलिस एक्शण के बाद मुसलमानों का जो नुक़्सान हुआ है , उसकी किसी ना किसी तरह पा बजाई होसके। अगर मुस्लमान हुसूल-ए-ताअलीम पर ख़ुसूसी तवज्जा करेंगे तो मुसलमानों की तरक़्क़ी कोई भी ताक़त रोक नहीं सकती।

हुसूल-ए-ताअलीम के ज़रीये बुलंदीयों को छू सकते हैं। मुसलमानों पर मुख़्तलिफ़ अंदाज़ में ज़ुलम-ओ-ज़्यादतियां आए दिन होरही हैं, मुसलमानों में तालीमी बेदारी वक़्त की अहम ज़रूरत है। अख़बार सियासत का मुल्क के अलावा बैरूनी मुल्क इंटरनेट और दुसरे असरी टेक्नालोजी के ज़रीये हज़ारों की तादाद में अवाम मुशाहिदा करते हैं, अख़बार सियासत हमेशा मासूम-ओ-ग़रीब-ओ-मुस्तहिक़ अफ़राद की मदद के लिए आगे रहा है।

आज मुसलमानों में इत्तेहाद‍ ओ‍ इत्तेफ़ाक़ की वजह से कई एक मसाइल से दो-चार होरहे हैं। अगर मुस्लमान मुत्तहिद होजाएंगे तो दुनिया की कोई भी ताक़त मुसलमानों को कमज़ोर नहीं करसकती। इन ख़्यालात का इज़हार मुदीरे आअला रोज़नामा सियासत हैदराबाद अल्हाज ज़ाहिद अली ख़ानसाहब ने शादनगर योया फंक्शन हाल में मुनाक़िदा बउनवान जलसा इस्लाह मुआशरह के एक बड़े इजतेमा से ख़िताब करते हुए किया।

उन्होंने अपनी तक़रीर को जारी रखते हुए कहा कि दुनिया में मुसलमानों का दूसरी बड़ी आबादी में शुमार होता है। अगर मुसलमानों में इत्तेहाद‍ ओ‍ इत्तेफ़ाक़ पैदा होजाएगा तो दुनिया की एक बड़ी ताक़त भी बन सकती है। उन्होंने तेलंगाना हुकूमत की शादी मुबारक स्कीम का ज़िक्र करते हुए कहा कि मज़कूरा स्कीम के लिए सैंकड़ों दरख़ास्तें दाख़िल की जा रही हैं और इदारा सियासत ने तेलंगाना हुकूमत से नुमाइंदगी करते हुए कहा कि शादी मुबारक स्कीम की रक़म आइन्दा तीन ता चार साल के अंदर होने वाली लड़कीयों की शादी की निशानदेही करते हुए मज़कूरा रक़म इन लड़कीयों के नाम बैंक में डिपाज़िट करें, ताके मुक़र्ररा वक़्त पर उन को रक़म हासिल होसके।

उन्होंने बताया कि शादी मुबारक स्कीम के आग़ाज़ के बाद इदारा सियासत की तरफ से ग़ैर शादीशुदा लड़कीयों के मुताल्लिक़ शहरे हैदराबाद में सर्वे करवाया गया। सर्वे के मुताबिक़ 30 हज़ार लड़कीयां ग़ैर शादीशुदा हैं।

इस बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता हैके मुस्लमान लड़कीयों के वालिदैन के ऊपर क्या गुज़र रही होगी और उनके वालिदैन इस बात को लेकर कितने फ़िक्रमंद हैं।

शादीयों में बेजा इसराफ़ दुल्हे वालों की तरफ़ से अच्छे खाने और जहेज़ का मुतालिबा एक बहुत बड़ा मसला बना हुआ है। मौजूदा हालात को देखते हुए इदारा सियासत ने शादी को आसान बनाने के लिए एक मुहिम शुरू करते हुए दु बा दु प्रोग्राम का आग़ाज़ किया। इस के अलावा शादी में इसराफ़ के ख़िलाफ़ भी मुहिम शुरू की।

शादीयों में फुज़ूलखर्ची को रोकना वक़्त की अहम ज़रूरत है और आज कोई मुस्लमान का इंतेक़ाल होजाए तो अफ़रादे ख़ानदान को कई एक मसाइल का सामना होता है। क़ब्रिस्तानों की तंगी होरही है और क़ब्रिस्तानों पर भी जगह जगह क़बजे होरहे हैं। अख़बार सियासत ने लावारिस लाशों की तदफ़ीन का इंतेज़ाम किया है और अभी तक 2500 तदफ़ीन होचुकी है और फ़ी मय्यत 2500 रुपये ख़र्च होता है।

मिल्लत के मुस्लमान एक डिश पर शादी करने का ज़हन बना लें , शादी तक़रीब में एक डिश खाने और एक मीठा रखने का मिल्लत अह्द करले। हालिया मुसलमानों के एनकाउंटर का ज़िक्र करते हुए कहा कि जिस गाड़ी में मुंतक़िल किया जा रहा था , इस में सवार तमाम मुसलमानों को बड़ी अज़ीयतें दे कर बेरहमी के साथ उन पर पुलिस ने गोलीयां चला कर क़त्ल कर दिया। पुलिस एनकाउंटर वाक़िये की मज़म्मत की।

अल्लाह ने मुस्लमान को आदम अलैहिस्सलाम की औलाद बनाकर दुनिया में भेजा। हम मुत्तहदा तौर पर ईमान पर क़ायम रहते हुए अपने आप में बेहतरी लाने की कोशिश करें। अगर मुस्लमान राह रास्त पर आजाऐंगे तो दुनिया की कोई भी ताक़त मुस्लमान को कमज़ोर करने या फिर गुमराह करने की कोशिश नहीं करेंगे।

शादी एक आसान मसला है, उस को ज़ेर बार ना बनाईं। मौलाना सय्यद मुनव्वर अली इमाम-ओ-ख़तीब मस्जिद हबीबीह शाद नगर ने मुख़ातिब करते हुए कहा कि इसराफ़ आज एक फ़ैशन बना हुआ है , जो शख़्स खाने के बाद अपना बर्तन साफ़ तरीके से कर के खाता है तो शैतान-ओ-वावेला मचाकर दूर भाग जाता है। मौलाना पी एम मुज़म्मिल रशादी वाला जाहि बैंगलौर ने ख़िताब करते हुए कहा के कलिमे की बुनियाद पर एक मुस्लमान दूसरे मुस्लमान का भाई है। किसी भी मुस्लमान को ख़ौफ़ खाने की ज़रूरत नहीं है।

अल्लाह और इस के रसूल (स०) की तालीमात पर अमल पैरा होने की तलक़ीन की। अज़ाबे इलाही से बचने के लिए अल्लाह और इस के रसूल (स०) के बताए हुए तरीक़ों पर अमल करने पर ज़ोर दिया।

इस्लाम ही एक एसा मज़हब जो कि सारी ज़िंदगी बंदे को किस तरह गुज़ारना है। इस के बारे में साफ़ साफ़ वाज़िह कर दिया गया। इस के बावजूद हम दर दर भटक रहे हैं। इसराफ़ की शादीयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने की ज़रूरत है। अपने ज़ाती मसारिफ़ पर भी रोक लगाने की ज़रूरत है , सच्च और हक़ बात करने के लिए कोई भी मुस्लमान पीछे नहीं हटना चाहीए।

हर एक काम इस्लाम के दायरे में होना चाहीए। इसराफ़ वाली शादी से परहेज़ की ज़रूरत है। इस्लाह मिल्लत कमेटी की कोशिशों की सताइश की है और मुबारकबाद दी। मौलाना मुहम्मद इबराहीम मिफताही कश्टापुर की दुआ पर जलसे का इख़तेताम हुआ।