रियासत के हदूद तबदील हो गए, हुकूमत बदल गई और ओहदेदार तक़सीम हो गए, लेकिन अगर कुछ नहीं बदला है तो वो है मुस्लिम नौजवानों के मुताल्लिक़ पुलिस का रवैया, और इस रवैया पर हुकूमत की पुश्त पनाही के इलावा अपोज़ीशन की ख़ामूशी पुलिस के हौसला में इज़ाफ़ा का बाइस बन रही है।
7अप्रैल की सुबह रियासत आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में पुलिस एन्काउंटर के वाक़ियात की ख़बरें सामने आईं और तिरूपति में 20 अफ़राद के एन्काउंटर के मसअले पर सियासी भूंचाल पैदा हो गया।
इतना ही नहीं बल्कि पड़ोसी रियासत तामिलनाडू की हुकूमत ने चीफ़ मिनिस्टर आंध्र प्रदेश मिस्टर एन चंद्र बाबू नायडू को मकतूब रवाना करते हुए बेक़सूर अफ़राद के क़त्ल पर महलोकीन के विर्सा-को एक्स ग्रेशया का मुतालिबा किया और दूसरे दिन ख़ुद तामिलनाडू हुकूमत ने अपने शहरीयों को जो एन्काउंटर में हलाक हो गए थे उन के विर्सा-को 3 लाख रुपये एक्स ग्रेशिया की मंज़ूरी का ऐलान भी कर दिया।
लेकिन रियासत तेलंगाना में हुई 5 मुस्लिम नौजवानों की मौत पर ना सिर्फ़ सियासी जमातों को साँप सूंघ गया है बल्कि इन नौजवानों की मौत को ग़ैर इंसानी क़रार देने से भी गुरेज़ किया जा रहा है।
जबकि 20 स्मगलर्स जिन्हें आंध्र प्रदेश पुलिस ने मौत के घाट उतारा है इस एन्काउंटर के ख़िलाफ़ इंसानी हुक़ूक़ की तंज़ीमों ने अदालत से रुजू होते हुए तहक़ीक़ात का मुतालिबा भी कर डाला, और ये मुआमला अंदरून दो यौम सुप्रीम कोर्ट तक रसाई हासिल कर गया।
लेकिन तेलंगाना में जिन नौजवानों का सफ़ाकाना क़त्ल हुआ है इस मुआमला की सुनवाई पर अब तक कोई पेशरफ़्त नहीं हुई है। रियासत तेलंगाना में तेलंगाना राष़्ट्रा समीती को इक़्तेदार हासिल होने पर ये समझा जा रहा था कि हुकूमत की तबदीली के मुसबत असरात सामने आयेंगे लेकिन पुलिस की इस कार्रवाई ने इन उमीदों पर पानी फेर दिया।