भोपाल : शरीयत में कोर्ट का दखल मंजूर नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा संविधान में मिली धार्मिक स्वतंत्रता का हनन नहीं होना चाहिए। तीन तलाक के मुद्दे पर यही सार मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में निकलकर आया है।
ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड की वर्किंग कमेटी की पहली बैठक रविवार को भोपाल में हुई। जिसके बाद देर शाम तक कमेटी में इस मुद्दे पर मंथन होता रहा। इसमें इस बात पर सहमति बनी कि संविधान में मिली धार्मिक स्वतंत्रता का हनन नहीं होना चाहिए।
बैठक में बोर्ड के करीब 45 सदस्यों ने अपनी राय रखी। बैठक में सदस्यों की राय के बाद बोर्ड को लगा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अभी सभी लोगों ने ठीक से नहीं समझा है। सांसद असदुद्दीन औवेसी ने करीब दो घंटे कानून के जानकारों के साथ बातचीत करके फैसले का सार तैयार किया। इसे सभी सदस्यों को बांटा गया।
सूत्रों के मुताबिक इस मामले को लेकर कानूनी विशेषज्ञों और रिसर्च स्कॉलर की एक कमेटी बनाई जा सकती है, जो 10 दिन में फैसले से जुड़े तमाम पहलूओं का अध्ययन करके रिपोर्ट सौंपेगी।