नई दिल्ली: एक मुस्लिम लड़की को हिंदू मज़हब के लड़के के साथ शादी करने पर उसके खानदानवालो वालों से धमकियां मिल रही थी. और दिल्ली हाईकोर्ट ने इस जोड़े को साथ रहने की इजाज़त दी है.
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस आशुतोष कुमार की बेंच ने खातून के वालिदैन से कहा है कि वे बेटी की ज़ाती ज़िंदगी में दखल ना दें, उसकी उम्र 18 साल से ऊपर है और वो अपने शौहर के साथ रहना चाहती है.
24 मार्च को कोर्ट ने शौहर आकाश की दरखास्त पर ये हुक्म दिया. शौहर ने इल्ज़ाम लगाया था कि उसकी बीवी के वालिदैन उनकी शादी के ख़िलाफ़ हैं और खदशा है कि लड़की की शादी कहीं और ना करा दें.
बेंच ने कहा कि हमने लड़की से बात की है और वो अपने शौहर आकाश के साथ रहना चाहती है.
जब दिसंबर 2014 में ये मामला पहली बार सुनवाई के लिए आया था तो खातून ने कोर्ट को बताया था कि वो अपनी मर्ज़ी से आकाश के साथ दिल्ली से नोएडा गई थी और फिर अपनी मर्ज़ी से ही वालिदैन के घर वापस आई थी.
लड़की ने माना था कि उसकी आकाश के साथ शादी हुई है और आकाश ने उसे कभी उसकी मर्जी के ख़िलाफ़ रोक कर नहीं रखा.
लड़की ने तब कोर्ट से कहा था कि वो अपने वालिदैन के साथ रहना चाहती है और अगले तीन साल तक शादीशुदा वाली ज़िंदगी नहीं जीना चाहती.
इसके बाद बेंच ने तब निज़ाम बनाया कि लड़की वालिदैन के साथ दिल्ली में रह सकती है. साथ ही वालिदैन से कहा कि वे उसकी कहीं और शादी ना करें. पुलिस को भी हुक्म दिया गया कि कोर्ट की हिदायतो की खिलाफवर्जी या लापरवाही ना हो.
लेकिन जनवरी में आकाश ने बेंच में दरखास्त दाखिल कर कहा कि उसकी बीवी ने फोन पर बताया है कि उसे मेरठ ले जाया गया और शक है कि उसकी शादी कहीं और ना करा दी जाए.
इसके बाद कोर्ट ने पुलिस को लड़की का पता लगाने के लिए कहा. पुलिस लड़की का पता लगाने में नाकाम रही तो बेंच ने लड़की और उसके वालिद के नाम समन भेजा.
लड़की ने कोर्ट को बताया कि उसे खानदान वालों ने किसी और से उसकी शादी कराने के लिए मारा-पीटा. लड़की ने खाहिश जताई कि वह शौहर के साथ रहना चाहती है.