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मुस्लिम लड़कियों की शादी की उम्र का मसला

इंडियन मुस्लिम लीग हिंदुस्तान में 18 साल के कम उम्र के बच्चो की शादी पर पाबंदी लगाने के खिलाफ है। मुस्लिम तंज़ीमो का कहना है कि यह पाबंदी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के तहत गलत है। जुमे को इस ताल्लुक में केरल में तमाम जमायतुल उलेमा की मीटींग में कई बड़ी हस्तियों ने शिरकत की और इस ताल्लुक में कानूनी सलाह मशवरा करने की भी बात कही।

मीटींग के बाद कांफ्रेस के कोर्डिनेटर मुस्तफा मुंडूपारा ने कहा कि कई लोंगों ने इस बात की शिकायत की है कि कई मामलों में 18 साल से पहले लड़की की शादी को नहीं रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे कई मिसाल हमारे सामने हैं जहां ऐसा हुआ है। उन्होंने चाइल्ड मैरिज प्रिवेंशन एक्ट की सख्त तंकीद की, जो 18 साल से कम उम्र की लड़की की शादी करने को एक जुर्म करार देता है।

उन्होंने कहा कि मौजूदा कानून मुस्लिम पर्सनल लॉ की खुली किलाफवर्जी हैं। मुस्लिम पर्सनल लॉ में लड़की की शादी के लिए कोई उम्र की हद नहीं है। उनके मुताबिक मुस्लिम कानून के तहत 18 साल से कम उम्र की लड़की की शादी कोई जुर्म नहीं है और चाइल्ड मैरिज एक्ट के तहत के मुस्लिम समाज और मुस्लिम कानून की खिलाफवर्जी नहीं की जा सकती है। हालांकि उन्होंने इस सुझाव की ताइद की है कि मुस्लिम समाज को इस बारे में एक कंपेन चलाना चाहिए कि कम उम्र में लड़कियों की शादी न की जाए। कांफ्रेंस में इस मुद्दे पर मरकज़ी और रियासती हुकूमत से कोई बीच का रास्ता निकालने की अपील की गई है।

इस कांफ्रेंस में केरल के तमाम जमायतुल उलेमा और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग केरल नदवातुल मुजाहिदीन, जमात ए इस्लामी हिंद, मुस्लिम एजुकेशनल सोसायटी के दो गुटों के लीडरो, और मुस्लिम सर्विस सोसायटी ने कांफ्रेंस में हिस्सा लिया।

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