फ़साद ज़दगान की बाज़ आबादकारी और तहफ़्फ़ुज़ हुकूमत की ज़िम्मेदारी होती है, लेकिन हुकूमत उत्तरप्रदेश की जानिब से मुज़फ़्फ़रनगर फ़सादात के मुतास्सिरीन के राहतकारी कैंपों में किसी किस्म की सहूलतों की अदम फ़राहमी के सबब मासूम बच्चों की अम्वात का सिलसिला शुरू हो चुका है।
मौसमे सर्मा के सबब शुमाली हिंद में जारी शदीद सर्दी की लहर से ताहाल मुज़फ़्फ़रनगर कैंपों में 66 बच्चों की अम्वात की तौसीक़ हो चुकी है। रीलीफ़ कैंपों में अब भी हज़ारों की तादाद में मुतास्सिरीन क़ियाम किए हुए हैं जब कि हुकूमत की जानिब से ये तादाद 11 हज़ार तक बताई जा रही है, लेकिन ये तादाद दरहक़ीक़त 60 हज़ार तक होने का इमकान है।
60 हज़ार नफ़ूस का बेसर्व सामानी की हालत में रीलीफ़ कैंपों में ज़िंदगी गुज़ारना हुकूमत के लिए इंतिहाई शर्मनाक बात है। फ़साद मुतास्सिरीन जिन में बड़ी तादाद इस्मतरेज़ि के मुतास्सिरीन की है, वो अपने इलाक़ों में वापिस जाकर ज़िंदगी गुज़ारने के लिए तैयार नहीं हैं।
2002 के गुजरात फ़सादात के मुतास्सिरीन को भी सहूलतों की फ़राहमी में हुकूमत गुजरात की नाकामी पर गैर सरकारी तनज़ीमों ने ये ज़िम्मेदारी अपने सर ली थी और अब मुज़फ़्फ़रनगर की सूरते हाल भी कुछ इसी तरह की हो गई है।
जनाब ज़ाहिद अली ख़ान ने तआवुन करने वालों से अपील की कि वो कपड़े बतौर तआवुन ना दें बल्कि नए गर्म कपड़ों के ज़रीए मुतास्सिरीन की इआनत करें।