नरेंद्र मोदी ने अवध की रैली में कांग्रेस पर करारा हमला किया। कहा, जम्हूरी तौर पर मुझे शिकस्त करने में नाकामयाब रहने पर कांग्रेस ने पहले झूठे मामलों में फंसाने के लिए सीबीआइ का इस्तेमाल किया और इसके बाद मुझ पर हमला करने के लिए दहशतगर्द तंज़ीम इंडियन मुजाहिदीन को खुली छूट दी। यह सब गुजरात में हुई मुसलसल हार के बाद किया गया। कांग्रेस ने मुझ पर कायर की तरह पीठ के पीछे से वार करने की साजिश रची है।
जुमे के दिन जलसा ए आम में नरेंद्र मोदी ने कहा कि, गुजरात में मुसलसल तीन मरतबा की हार के बाद कांग्रेस को जब एहसास हो गया कि वह जम्हूरीयत के तरीके से बीजेपी और मोदी को नहीं रोक सकती, तो उसने इन गलत तरीकों का इस्तेमाल किया। यह इस्तेमाल अभी भी जारी है। अपनी बात को ताकत देने के लिए मोदी ने पटना में गुजश्ता 27 अक्तूबर को बीजेपी की रैली के दौरान हुए सिलसिलेवार बम धमाकों का जिक्र किया। इन धमाकों को अंजाम देने में इंडियन मुजाहिदीन का नेटवर्क सामने आया है।
ललकारने वाले अंदाज में मोदी ने कहा, जो लोग बम, बंदूक और पिस्तौल की सियासत करते हैं-वे कान खोलकर सुन लें, मैं अलग तरह के मैटेरियल का बना हुआ हूं। दहशतगर्द के आगे न कभी झुका हूं और न ही आगे कभी झुकूंगा। हम दहशतगर्द को शिकस्त देंगे और उसे जड़ समेत उखाड़ फेंकेंगे। दहशतगर्दों की गोलियां मुल्क की तरक्की के रास्ते पर आगे बढ़ने से नहीं रोक सकतीं।
मोदी ने अपने मुखालिफीन को कायरों की तरह पीछे से वार न करके सामने आकर जम्हूहूरी तरीके से लड़ने की चुनौती दी।
उत्तर प्रदेश की सपा हुकूमत को निशाने पर लेते हुए मोदी ने कहा, वोटों की सियासत के लिए बीजेपी के दो MLAs -संगीत सोम और सुरेश राणा को दंगों के मामले में जेल में डाला गया। लेकिन उन पर लगाए गए इल्ज़ाम ज़ायज़ा के दौरान टिक नहीं पाए। वे रिहा हो गए। आप उन पर फिर झूठे इल्ज़ाम लगाएं-वे फिर बेगुनाह साबित होंगे।
बीजेपी झूठे मामलों और ज़ियाद्ती से कमजोर होने वाली नहीं है। लेकिन हुकूमत मामले के असली गुनहगारों को गिरफ्तार नहीं कर रही है-उन्हें बचा रही है। मोदी ने कहा, सपा-बसपा और कांग्रेस का एक जैसा डीएनए है, जो सिर्फ अपने फायदे वाला काम करता है। सपा और बसपा में इस बात का मुकाबला रहता है कि कौन ज्यादा करप्शन करे, कौन मुल्ज़िमों से ज्यादा फायदा उठाए। इसी के वजह से दोनों पार्टियों ने मरकज़ की संप्रग हुकूमत को ताईद देने के दौरान एक भी बार उत्तर प्रदेश की भलाई की बात नहीं की।
दोनों पार्टियों के लीडर सिर्फ इसलिए मरकज़ी हुकूमत को ताईद देते रहे क्योंकि उन्हें अपने ऊपर सीबीआइ के मुकदमों से राहत चाहिए थी। इसके बरअक्स तृणमूल कांग्रेस की सदर ममता बनर्जी ने मरकज़ की जब तक ताईद की, तब तक वह अपने रियासत मगरिबी बंगाल की भलाई के लिए लड़ाई लड़ती रहीं।
नरेंद्र मोदी जुमे की रैली में नया शिगूफा छोड़ गए। निशाने पर मुलायम खानदान रहा। सीधा नाम न लेकर मोदी ने उन्हें ‘यूपी के शहंशाह’ कहकर खिताब किया। अखिलेश यादव को विजन हीन वज़ीर ए आला बताया। रियासत में लायन सफारी कायम करने को लेकर चुटकी भी ली। अखिलेश की तरफ से से शेर मांगने को लिखे खत का खुलासा करते हुए खिल्ली उड़ाई।
मोदी का कहना था साबिक हुकूमत की सरबराह का हाथी से लगाव रहा, अब शेर पाले जा रहे है। आवाम की फिक्र किसी को नहीं है। शेर के बजाय गाय मांगी होती तो किसानों की आमद बढ़ती। बिजली फराहमी में मदद मांगते या अमूल डेरी कायम करने की गुजारिश किया होता उन्हें खुशी हासिल होती।