पटना : जैसे जैसे बिहार में एसेम्बली इंतिख़ाब नज़दीक आ रहे हैं, जनता दल (यूनाइटेड) इत्तिहाद और ओपोजीशन एनडीए इत्तिहाद के दरमियान इल्ज़ाम आईद और खुले खत का दौर शुरू हो गया है। बुध सुबह वजीरे आला नीतीश कुमार ने वजीरे आजम नरेंद्र मोदी की उस तनकीद पर खुला खत लिखा, जिसमें उन्होंने नीतीश कुमार के डीएनए पर तनकीद की थी। नीतीश ने अपने खत में मोदी से अपने अल्फ़ाज़ वापस लेने की दरख्वास्त की थी।
इसके जवाब में बिहार में एनडीए के पाँच आला लीडरों ने बिहार की अवाम के नाम खुला खत लिखा है और नीतीश कुमार को आड़े हाथों लिया है। राम विलास पासवान, जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुश्वाहा, सुशील मोदी और सीपी ठाकुर के नाम से ये खत जारी किया गया है। इस खत में नीतीश के खुले ख़त की खिल्ली उड़ाते में लिखा गया है कि बिहार का मतलब सिर्फ़ नीतीश कुमार नहीं।
खत में लिखा गया है- मैं ही बिहार हूँ। ये नीतीश कुमार का वहम है। बिहार के वजीरे आला का खत बताता है कि एक सख्श अपने हठ और हुकूमत के लिए किस हद तक जा सकता है। एनडीए के इन लीडरों ने अपने खत में कहा है कि ग़रीबों, महरूम और महादलितों का बेइज्ज़त बिहार की कल्चर नहीं है, लेकिन नीतीश कुमार को ऐसा करने में मज़ा आता है।
खत में वजीरे आजम मोदी के नीतीश के डीएनए पर की गई तनकीद पर भी वजाहत दिया गया है। खत के मुताबिक वजीरे आजम का बयान नीतीश कुमार (न कि बिहार) के सियासी डीएनए के बारे में था न कि उनके और बिहार के डीएनए के बारे में, जैसा नीतीश तशहीर कर रहे हैं। इन लीडरों ने कहा है कि वजीरे आजम के अलफ़ाज़ को तोड़ने-मरोड़ने और बिहार को नीचा दिखाने के लिए नीतीश कुमार को बिहार की अवाम से माफ़ी मांगनी चाहिए।
खत में भाजपा-जनता दल (यू) इत्तिहाद टूटने के लिए नीतीश कुमार को ज़िम्मेदार बताया गया है और कहा गया है कि एक सख्श के हठ और हुकूमत के आगे बिहार की अवाम की उम्मीद बिखर गई।