मैदाने हश्र की फ़िक्र करो

हज़रत मिक़दाद रज़ी अल्लाहु तआला अनहु कहते हैं कि मैंने रसूल क्रीम(स०) को फ़रमाते हुए सुना कि क़ियामत के दिन (मैदाने हश्र में) सूरज को मख़लूक़ के नज़दीक कर दिया जाएगा, यहां तक कि वो उन से एक मिल के फ़ासिले पर रह जाएगा।

पस तमाम लोग अपने आमाल के बक़दर पसीने में शराबोर होंगे, चुनांचे इन में से बाज़ लोग वो होंगे जिन के टखनों तक पसीना होगा, बाज़ लोग वो होंगे जिन के घुटनों तक पसीना होगा, बाज़ लोग वो होंगे जो कमर तक पसीने में डूबे होंगे और बाज़ लोग वो होंगे जिन के लिए इन का पसीना लगाम बन जाएगा, यानी उन के दहाने तक पसीना होगा बल्कि दहाने के अंदर तक पहुंच जाएगा।

ये फ़रमाकर रसूल क्रीम(स०) ने अपने दस्त मुबारक से अपने दहाना मुबारक की तरफ़ इशारा फ़रमाया। (मुस्लिम)

वाज़िह रहे कि मिल अरबी में कोस (फ़ासिले) को भी कहते हैं और सुरमा लगाने की सिलाई को भी मिल कहा जाता है। पस बाज़ हज़रात ने उन से एक मिल के फ़ासिले पर रह जाएगा से मुराद एक कोस के बक़दर फ़ासिला लिया है और बाज़ हज़रात ने ये मानी बयान किए हैं कि उस दिन सूरज सुरमा लगाने की सिलाई के बक़दर फ़ासिले पर होगा। बहरहाल असल मक़सूद ये ज़ाहिर करना है कि मैदाने हश्र में सूरज लोगों के बहुत नज़दीक आजाएगा।

हदीस शरीफ़ का हासिल ये है कि उस दिन लोगों को जो पसीना आएगा, वो उन के आमाल के मुरातिब के बक़दर होगा, चुनांचे सब से कम पसीना जिन लोगों का होगा, वो लोग होंगे जिन के आमाल बहुत ज़्यादा और अच्छे होंगे और वो लोग सिर्फ़ टखनों तक पसीना में शराबोर होंगे। उसी पर दूसरों को भी क़ियास किया जा सकता है कि जिस शख़्स के नेक आमाल जितने कम और बुरे आमाल जितने ज़्यादा होंगे, वो इतना ही ज़्यादा पसीना में ग़र्क़ होगा।