भीड़ की हिंसा के मामले में केंद्र सरकार मॉडल कानून बनाकर राज्यों को भेज सकती है। मॉडल कानून के आधार पर राज्य अपने यहां कानून बना सकते हैं। केंद्र द्वारा गठित समिति ने भीड़ की हिंसा के मामले में व्यापक विचार-विमर्श शुरू किया है।
शनिवार को आयोजित दूसरी बैठक में समिति ने इस मामले में याचिकाकर्ता तहसीन पूनावाला को प्रेजेंटेशन के लिए बुलाया था। भीड़ की हिंसा रोकने के लिए सुझाए गए ड्राफ्ट कानून पर समिति ने सवाल जवाब किया।
सोमवार को समिति की पहली बैठक में सदस्यों ने आपस में विचार-विमर्श किया था। समिति को चार सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देनी है।
गृह सचिव ने बैठक में प्रत्यावेदन दे रहे पक्षों से जानना चाहा कि कानून की जरूरत क्यों है? सीआरपीसी में संशोधन का सुझाव भी एक सचिव की ओर से सामने आया। पूनावाला ने भीड़ की हिंसा को परिभाषित करने की जरूरत पर जोर दिया।
उन्होंने ड्राफ्ट में भीड़ की हिंसा की प्रकृति के आधार पर सजा का सुझाव दिया। इसमें सात साल की सजा और एक लाख जुर्माने के अलावा अधिकतम कठोर आजीवन कारावास का प्रावधान करने का प्रस्ताव है।
समिति के कुछ सदस्यों ने मौजूदा कानूनों का हवाला देते हुए कहा कि सीआरपीसी में इस तरह के मामलों में सजा का प्रावधान है।