वज़ीर-ए-आज़म नरेंद्र मोदी का दौराॱएॱ अमरीका , हिंद – अमरीका कलीदी मसाइल की यकसूई के लिए पेशरफ़त का एक मौक़ा फ़राहम करता है और ये एक दूसरे की तफ़हीम के आग़ाज़ को यक़ीनी बनाएगा। अमरीका के आला सतही दानिश्वर ने कहा कि शान-ओ-शौकत और शानदार तक़रीबों के इख़तेताम पर दोनों ममालिक को चाहिए कि इस बात को यक़ीनी बनाए कि वो इन्फ़िरादी नुमाइंदगी साबित ना हो, बल्कि दोनों ममालिक की तवज्जे बाहमी ताल्लुक़ात पर मबज़ूल करें और उनका मुस्तक़िल रुजहान ज़रूरी होगा।
रिचर्ड पोनटीन सदर मर्कज़ बराए नई अमरीकी सयानत ने कहा कि एक नई पालिसी की तफ़सीलात जिस का उनवान मोदी के लम्हा को गिरिफ़त में लेना: हिंद-अमरीका ताल्लुक़ात वज़ीर-ए-आज़म के दौरे के मौक़े पर ज़ाहिर करता है कि कई ठोस तजावीज़ बिशमोल बाहमी सरमाया कारी मुआहिदा की तकमील तिजारती फ़राख़दिली की बातचीत के लिए मुआहिदा पर तेज़ रफ़्तार बातचीत का आग़ाज़ शामिल हैं।
रिचर्ड पोनटीन ने सिफ़ारिश की कि सियोल न्यूक्लीयर मुआहिदे पर मुकम्मल अमल आवरी , तजदीद और दिफ़ाई चोकठा मुआहिदा की तौसीअ और इलाक़ाई तआवुन में हिंद-बहर-ए-अलकाहिल के इलाक़े में तआवुन बिशमोल बातचीत बराए माबाद 2016 अफ़्ग़ानिस्तान के अलावा अमरीका – हिंद – जापान ।
ऑस्ट्रेलिया चार रुकनी सयान्ती मुज़ाकरात के ज़रिए तमाम कलीदी मसाइल की सिम्त पेशरफ़त का एक मौक़ा हासिल हुआ है और अमरीका को चाहिए कि ये मौक़ा ज़ाए ना करें।