अहमदाबाद। दागी जनप्रतिनिधियों को संरक्षण देने वाले कानून को उच्चतम न्यायालय की ओर से रद्द किए जाने से मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के केबिनेट मंत्री बाबूभाई बोखीरिया पर भी गाज गिरी है। बोखीरिया व उनके तीन साथियों को 54 करोड़ के चूना पत्थर चोरी के मामले में निचली अदालत ने 15 जून को तीन तीन साल की सजा सुनाई थी।
सौराष्ट्र के पोरबंदर में वर्ष 2006 में उनके समेत चार जनों पर सवा सौ करोड़ के लाइम स्टोन के खनन का मामला दर्ज हुआ था।
पुलिस जांच में पता चला कि चारों आरोपियों ने अवैध खनन के जरिए करीब 54 करोड़ के लाइम स्टोन की चोरी की है। करीब सात साल तक निचली अदालत में मामले की सुनवाई के बाद गत 15 जून को पोरबंदर जिला अदालत परिसर प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट ने बोखीरिया व उनके तीनों साथी पूर्व सांसद भरत ओडेदरा, लक्षमण ओडेदरा व भीमा दूला को दोषी मानते हुए तीन-तीन साल की सजा सुनाई।
बोखीरिया ने ऊपरी अदालत में अपील की है इसलिए फिलहाल उन्हें अगले माह तक जमानत मिल गई। तीन साल की सजा के बावजूद बोखीरिया को मोदी सरकार से बाहर नहीं किया गया। इसलिए कांग्रेस अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया, नेता विपक्ष शंकर सिंह वाघेला व पूर्व नेता विपक्ष शक्तिसिंह गोहिल के नेतृत्व में कांग्रेस विधायक व सांसदों ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिलकर बोखीरिया को मंत्री पद से हटाने की मांग की थी लेकिन मोदी अभी तक उन्हें बचाते आ रहे थे। उच्चतम न्यायालय के फैसले से अब उनकी विधानसभा की सदस्यता व मंत्री पद दोनों स्वत: ही समाप्त हो जाएंगे।