मोदी ने अपनी टीम में चार बिहारियों रविशंकर प्रसाद, राधामोहन सिंह,रामविलास पासवान और उपेंद्र कुशवाहा को शामिल किया है, जबकि बिहार से ही एमपीधर्मेंद्र प्रधान को भी इस टीम का मेम्बर बनाया गया है। ऐसे में बिहार कोटे से पांच लोग मर्कज़ में वज़ीर हो गए। मर्कजी कैबिनेट में बिहार को पांच सालों के बाद नुमायंदगीमिला है। हालांकि, गुजिशता हुकूमत में कुछ दिन पहले तारिक अनवर को राज्यमंत्री बनाया गया था। पर, वे महाराष्ट्र से राज्यसभा में थे।
मर्कज़ी टीम में तकरीबन 10 सालों के बाद बिहार को इतना नुमायंदगी मिला है। इससेरियासत में नई उम्मीदें जगी हैं। यक़ीनी तौर से इससे बिहार के तरक़्क़ी को रफ्तार मिलेगी। बिहार में बड़ी तादाद में मर्कजी मंसूबे ओप्रेटिव हो रही हैं। उनमें से कई पैसों के अभाव में या तो ठप हो गई हैं या फिर उनकी रफ्तार काफी धीमी है। खासकर रेलवे,सड़क, सेहत, बिजली, तालीम के शोबे में बिहार को मर्कज से खुसुसि मदद की दरकार है।
बिहार तक़सीम के वक़्त रियासत से 1.70 लाख करोड़ रुपए खुसुसि पैकेज की मुताल्बाकी गई थी। उस वक़्त मर्कज़ में एनडीए की हुकूमत थी। अब एक बार फिर मर्कज़ में एनडीए की हुकूमत है। ऐसे में बिहार की उम्मीद फिर से जगी है। बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में बिहार को खुसुसि रियासत के दर्जा और खुसुसि पैकेज को लेकर तजवीजपारित किया गया। मर्कजी स्पोंसर मंसूबों के लिए बिहार से 50 हजार करोड़ की मुताल्बाकी गई।
इन हालात के दरमियान बिहार को अपने वज़ीरों से काफी उम्मीदें हैं। तरक़्क़ी की दौड़ मेंपसमांदा इस रियासत को मर्कज़ी मदद की काफी दरकार भी है। बीते सालों में बिहार केतरक़्क़ी की रफ्तार बढ़ी है, लेकिन इस रफ्तार से भी क़ौमी औसत को पाने में बिहार को25 साल लगेंगे। ऐसे में बगैर मर्कज़ी मदद की बिहार तरक़्क़ी की रफ्तार नहीं पा सकता। लिहाजा, बिहार से वज़ीर बने पांचों के सामने भी खुद को साबित करने की भी चैलेंज है।