नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फैसला किया था कि सरकार की विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी देने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय की वेबसाइट, www.pmindia.gov.in को बहुभाषी बनाया जाना चाहिए।
पीएमओ वेबसाइट पर उह जानकारी पहले केवल हिंदी और अंग्रेजी में ही उपलब्ध थी । विदेश मंत्री, सुषमा स्वराज ने मई 2016 में, पीएमओ वेबसाइट के 6 भाषा संस्करण का शुभारंभ किया | प्रधानमंत्री कार्यालय की वेबसाइट गुजराती, मराठी, मलयालम और बंगाली सहित छह प्रमुख क्षेत्रीय भाषाओं में होगी | सुषमा ने कहा कि चरणबद्ध तरीके से अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी प्रधानमंत्री की आधिकारिक वेबसाइट का शुभारंभ किया जायेगा ।
हाल ही में पीएमओ वेबसाईट को देखा गया वहां ड्राप डाउन लिस्ट में सिर्फ़ कन्नड़, उड़िया, पंजाबी, तमिल और तेलुगू भाषा ही हैं| 2014 में राजग सरकार के सत्ता में आने के बाद पीएमओ से अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित कई मुद्दों को हटाया गया है| उर्दू बोलने वालों में ज्यादातर मुसलमान हैं और इनकी जनसंख्या गुजराती, कन्नड़, मलयालम, उड़िया और पंजाबी भाषाओं के बोलने वालों से 5.01% ज़्यादा है |
इस सबको देखने के बाद ये सवाल उठाना लाज़मी है कि केंद्र सरकार ने उर्दू को नज़र अनदाज़ क्यूँ किया ? क्या केंद्र सरकार चाहती है कि उर्दू बोलने वालों को सरकार द्वारा लाये जा रहे प्रस्तावों के लाभ और योजनाओं की आधिकारिक जानकारी से रोक लगा दी जाए?