नाज़िम इदारा अशरफ़ुल-उलूम मौलाना अब्दुल कवी को आज अहमदाबाद की ख़ुसूसी पोटा अदालत में पेश किया गया जहां उन्हें 7 अप्रैल तक पुलिस तहवील में दे दिया गया। बताया जाता है कि दिल्ली एयरपोर्ट पर गिरफ़्तारी के बाद गुजरात पुलिस डिटेक्शन क्राईम ब्रांच टीम ने उन्हें टरांज़ट वारंट पर अहमदाबाद मुंतक़िल किया।
मौलाना अब्दुल कवी डी सी बी 6 , केस के मुल्ज़िम नंबर 39 बताए गए और उन्हें गुज़शता 10 साल से मतलूब बताया गया था और उन के ख़िलाफ़ ग़ैर ज़मानती वारंट ज़ेर ए इलतिवा था। ज़राए ने बताया कि मौलाना अब्दुल कवी को हैदराबाद में गिरफ़्तार करने का पुलिस का मंसूबा था लेकिन उन की दिल्ली रवानगी की इत्तेला पर गुजरात पुलिस चौकस हो गई और उन्हें दिल्ली अर पोर्ट पर हिरासत में ले लिया गया।
अहमदाबाद क्राईम ब्रांच ने उन पर इल्ज़ाम आइद किया कि गुजरात पुलिस को इंतिहाई तौर पर मतलूब मुबय्यना दहशतगर्द रसूल ख़ां पार्टी मुफ़्ती सुफ़ियान और दीगर के साथ एक इजलास हुई थी जिस में गुजरात में मुसलमानों पर ज़ुल्म का इंतेक़ाम लेने का फ़ैसला किया गया था।
पुलिस ने दावे किया कि मौलाना अब्दुल कवी ने इस इजलास में शिरकत की थी और उन्हें इस साज़िश की इत्तिला थी। डीटेक्शन क्राईम ब्रांच के ओहदेदार एम डी चौधरी ने मौलाना की गिरफ़्तारी अमल में लाई और उन्हें पोटा की ख़ुसूसी अदालत की जज श्रीमती गीता गोपी के इजलास पर पेश किया गया।
मौलाना की पुलिस तहवील के ख़िलाफ़ उन के वुकला ने गुजरात पुलिस के इस इक़दाम की मुख़ालिफ़त की और बताया कि इस केस में कई मुल्ज़िमीन की बरआत हो चुकी हैं और उन्हें ग़ैर मजाज़ तौर पर माख़ूज़ किया गया है। मौलाना के वुकला एडवोकेट बी ऐम गुप्ता , धीरूभाई और दूसरों ने वकालतनामा दाख़िल किया।
मीडीया से बात करते हुए एडवोकेट बी एम गुप्ता ने बताया कि मौलाना अब्दुल कवी की गिरफ़्तारी एक सियासी हर्बा है चूँकि साल 2004 में दर्ज किए गए मुक़दमा में गुजरात पुलिस 10 साल के बाद गिरफ़्तारी अमल में लाई। उन्होंने बताया कि मज़कूरा मुक़दमा के एक गवाह मुहम्मद रिज़वान के इक़बालिया बयान पर मौलाना को इस केस में माख़ूज़ किया गया और उन के ख़िलाफ़ कोई ठोस शवाहिद मौजूद नहीं है।
डी सी बी 6 मुक़दमा में साल 2004 से अब तक 56 मुल्ज़िमीन को गिरफ़्तार किया जा चुका है जबकि 41 मफ़रूर बताए गए हैं