मौलाना शोएब कोटी का सुझाव, रमज़ान के दौरान मस्जिदों से आवाज कम किया जाए

मुंबई में आपको तरह-तरह के शोर सुनाई पड़ेंगे। इन फैक्ट यह भारत के सबसे ज्यादा शोर-गुल वाले शहरों में से एक है। ये आवाजें भेलपुरी बेचने वालों की पुकार, गाड़ियों की आवाज और कंस्ट्रक्शन ग्रिल्स…वगैरह-वगैरह की होती हैं। ऐसा वक्त भी आता है जब यहां लाउडस्पीकरों में 100 डेसीबल का शोर सुनाई देता है और आपके कान दुखने की कगार पर आ जाते हैं। मिसाल के तौर पर अभी रमजान का पवित्र महीना चल रहा है और कई मस्जिदों से लगातार आवाजें आती रहती हैं। रोजेदारों और उनके पड़ोसियों को लगातार सुबह-शाम सेहरी और इफ्तार के वक्त की याद दिलाई जाती है। इसके बाद सुबह की प्रार्थना के लिए अजान होती है।

लोगों पर इस शोर से पड़ने वाले बुरे असर को समझते हुए कुछ वरिष्ठ मौलाना और कार्यकर्ता इस ‘गैरजरूरी’ शोर को नियंत्रित करने का सुझाव दे रहे हैं। मौलाना शोएब कोटी कहते हैं,’हर रोजेदार को सेहरी और इफ्तार का समय मालूम होता है। उन्हें बार-बार याद दिलाने की जरूरत नहीं है। अजान सिर्फ मस्जिद के आस-पास रहने वाले मुस्लिमों को नमाज के बारे में बताने के लिए होती है। इस्लाम में तेज आवाज में अजान की अनुमति नहीं है। यह कानों को सुकून देने वाला होना चाहिए और इससे पड़ोस में रहने वाले गैर-हिंदुओं को परेशानी नहीं होनी चाहिए। वह हर चीज जिससे लोगों के स्वास्थ्य और वातावरण को खतरा पहुंचता है, उसकी इस्लाम में मनाही है।’

डोंगरी के थिंकटैंक उर्दू मरकाज के डायरेक्टर जुबैर आजमी भी मौलाना कोटी की राय से इत्तेफाक रखते हैं। उर्दू मरकाज के पास में ही दो मस्जिदें हैं। जब भी अजान की आवाज आती है जुबैर सेमिनार, मुशायरा और डिबेट जैसे कार्यक्रम थोड़ी देर के लिए रोकने पड़ते हैं। वह बताते हैं कि शियाओं और सुन्नियों में अक्सर ज्यादा तेज आवाज में अजान देने की होड़ लगी रहती है। मौलाना कोटी का मानना है कि बात अगर लाउडस्पीकर के इस्तेमाल और शोर-शराबे की हो तो मुस्लिम और गैर-मुस्लिम आपस में स्पर्धा करते नजर आते हैं। वह कहते हैं,’अगर मैं मस्जिदों में शोर कम करने की बात करता हूं तो वे कहते हैं कि पहले उन हिंदुओं को रोका जाए जो पूजाओं और त्योहारों के दौरान इतना शोर करते हैं। आप ऐसे लोगों से बहस नहीं कर सकते हैं।’

ऐक्टिविस्ट्स की सलाह है कि राज्य और प्रशासन को इस बारे में ध्यान देना चाहिए। बॉम्बे हाई कोर्ट और नैशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल के वकील रघुनाथ महाबल ने कहा,’पिछले नौ साल से महाराष्ट्र पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड 125 जगहों पर गणेशोत्सव, नवरात्रि और दही हांडी जैसे त्योहारों पर नजर रख रहा है। अधिकारियों की इच्छा शक्ति सराहनीय है। लोगों में भी अब जागरूकता आ रही है। अगर लोगों को इस बारे में खुद से काबू रखने के लिए राजी कर लिया जाए तो यह बेहतर होगा।’

Source – NBT