यंगून:थवारहाइराह यांगॉन के मुस्लिम स्ट्रीट पर पान की दुकान चलाती है. वो चुनाव के दिन काफी खुश थी और सुदूर इलाके के कस्बे में यांगॉन नदी पार कर उस दिन वोट डालने गई थीं.
म्यांमार में नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) की सरकार सत्ता संभालने जा रही है लेकिन म्यांमार में मुसलमानों को लेकर अभी भी संशय बना हुआ है.
हाल के सालों में म्यांमार के मुसलमान जानलेवा हिंसा और नागरिकता देने से मना कर देने के कारण रोहिंग्या मुसलमानों के पलायन की वजह से सुर्खियों में रहे हैं.
उनका कहना है, “यांगॉन मुख्य तौर पर मुसलमानों के लिए सुरक्षित है हालांकि कुछ इलाकों में हो सकता है औरतों को बुर्का पहनने से रोका जाता हो और बच्चों को स्कूल जाते वक्त सर्तक रहना पड़ता हो. एक मुसलमान होने के नाते हम चिंतित है.”
मुख्य पार्टियों में से किसी ने भी 8 नवंबर को हुए चुनाव में कोई भी मुसलमान उम्मीदवार खड़ा नहीं किया था.
और चुनाव से महीनों पहले अधिकारियों ने पुष्टि की थी कि लाखों मुसलमान मतदाता पंजीकरण सूचियों से बाहर कर दिए गए है.
उन्हें नहीं लगता कि एनएलडी की नई सरकार के तहत मुसलमानों के लिए बहुत कुछ बदलेगा. वो कहती है, ” वे (एनएलडी) मुसलमान नहीं हैं. वे बौद्ध हैं और वे वोट पाने के लिए कुछ भी कहेंगे.”
फ़ोटोग्राफ़र एंड्रे मालेर्बा ने यांगॉन के मुस्लिम इलाके में दो लोगों से मुलाक़ात की और जानना चाहा कि क्या आंग सान सू ची की एनएलडी की सरकार बनने के बाद क्या उन्हें लगता है कि हालात बदलेंगे.
वो बताती हैं कि एक बार एक बौद्ध भिक्षु उनकी दुकान पर आया और पान मांगने के बाद भद्दी टिप्पणियां करने लगा. वो डर के मारे उसका विरोध नहीं कर पाईं.
थवारहाइराह कहती है कि वो संसद में किसी भी मुस्लिम प्रतिनिधि के नहीं होने की वजह से दुखी हैं. मुसलमानों को मौका नहीं दिया गया.
फारूक़ करीब 20 सालों से मुअज़्ज़िन का काम कर रहे हैं. वो पांचों वक्त के नमाज़ के समय अज़ान देते हैं.
उनका कहना है कि उन्हें मुस्लिम स्ट्रीट पर जहां वो रहते हैं, कभी सीधे तौर पर उत्पीड़न नहीं झेलना पड़ा है. हालांकि वो मानते हैं कि वो इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि जब यात्रा पर होंगे तो उनके साथ क्या होगा.