पश्चिम म्यांमार के एक गाँव राखिने में सेना द्वारा तक़रीबन 65,000 नस्ली मुसलमानों को तीन महीने के अंदर बॉर्डर पार बांग्लादेश पहुंचाने का मामला सामने आया है। यूएन के मानवाधिकारों के ख़ास दूत यंगही ली रविवार को राखिने में तीन दिन की मामले की जांच के लिए आये हैं। रोहनगिया के मुस्लिम गाँव वालो का कहना है की जहा पर सेना मुस्लिम अल्पसंख्यको के खिलाफ गाली गलोच से लेकर हत्या, बलात्कार और हज़ारो लोगो के घर जलाने का काम करती हो वहा पर यूएन के दूत के आने से स्तिथी में सकरात्मक बदलाव आने की उम्मीद नज़र आई है।
रोहनगिया से प्रवास कर कयी पईन गाँव में रहने वाले एक व्यक्ति ने नाम ना बताने की शर्त पर बताया की हमे उम्मीद है की यूएन के दूत के आने से कुछ बदलाव स्तिथी में ज़रूर आएगा और हमारे मानवाधिकार हमे प्राप्त होंगे। कार्यवाही अक्टूबर में आरम्भ हुई जब नौ पुलिस अधिकारियो को बॉर्डर के पास के एक समूह द्वारा मार हमले में मार दिया गया।
सरकार और सेना दोनों ने क्षेत्र में हो रही हत्याओं और गाली गलोच के आरोपो को यह कहकर खारिज कर दिया की हम सिर्फ निकासन कार्य कर रहे हैं।रोहिंग्या निवासियो एवम् कार्यकर्ताओं ने बताया की क़रीब सौ की तादाद में निवासियों को मारा गया है लेकिन म्रत्यु वाले क्षेत्रो में पत्रकारो और कार्यकर्ताओं की कम पहुंच होने के कारण सही तादाद बता पाना मुश्किल है। हाल ही की सैटेलाइट फ़ोटो में हज़ारों घर जले हुए नज़र आये हैं।