नई दिल्ली 21अक्टूबर ( पी टी आई) यू पी ए हुकूमत की हलीफ़ पार्टी के लीडर शरद पवार की जानिब से इस रिमार्क पर कि यू पी ए एक कमज़ोर हुकूमत है वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने कहा कि हुकूमत से वाबस्ता पार्टीयों की एहमीयत नहीं घटाई जानी चाहिए।
उन्होंने इस बात का एतराफ़ किया कि मख़लूत हुकूमत में इख़तिलाफ़ राय पाए जाते हैं। उन्हों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि हुकूमत अपनी हलीफ़ पार्टीयों के ही बल पर हुक्मरानी के फ़राइज़ अंजाम देती है । हुकूमत को अपने काम काज अंजाम देने के लिए पार्टीयों की अटूट वाबस्तगी नागुज़ीर है ।
हम एक मख़लूत हुकूमत में सांस ले रहे हैं और एक मख़लूत हुकूमत हमेशा इख़तिलाफ़ात का शिकार रहती है। लेकिन इस का मतलब ये नहीं कि हुकूमत की बुनियादों को कज़ोर करने की कोशिश की जाई। मनमोहन सिंह वज़ीर-ए-ज़राअत और उन सी पी सरबराह शरद पवार के रिमार्कस का हवाला दे रहे थे कि यू पी ई कमज़ोर है।
मुख़्तलिफ़ मसाइल पर तृणमूल कांग्रेस की सरबराह ममता बनर्जी के रवैय्या का भी उन्होंने तज़किरा किया ही। अपने तीन रोज़ा बैरूनी दौरे के बाद प्रीटोरिया से वापिस होते हुए ख़ुसूसी तय्यारे में अपने हमराह सहाफ़ीयों से बातचीत के दौरान वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने कहा कि असल आज़माईश तो ये है कि हमें हुकूमत से वाबस्ता पार्टीयों को कमज़ोर नहीं करना चाहीए जो उसूल हैं इस पर कारबन्द रहते हुए इन इख़तिलाफ़ात को हुक्मरानी की राह में हाइल होने नहीं देना चाहिए।
ताहम उन्होंने मज़ीद कहा कि मुख़्तलिफ़ नज़रियात के बावजूद में आप को तीक़न देता हूँ कि मख़लूत हुकूमत के मुख़्तलिफ़ पार्टीयां यू पी ए की काबीना का हिस्सा हैं। उन्हों ने कभी मुश्किल खड़ा नहीं की। हमारी हुकूमत पूरी अटूट वाबस्तगी के साथ काम अंजाम दे रही है।
अवाम ने जिस ख़त एतिमाद का इज़हार किया है इसी मुताबिक़ काम किया जा रहा है। जब उन की तवज्जा बाअज़ वुज़रा के तबसरों की जानिब मबज़ूल करवाई गई कि पालिसी साज़ी में अदलिया की मुदाख़िलत हो रही ही। मनमोहन सिंह ने कहा कि वुज़रा बसाऔक़ात इज़हार-ए-ख़्याल के लिए जमहूरीयत का फ़ायदा उठाते हैं।
लेकिन एक हुकूमत की हैसियत से हमें अदलिया का एहतिराम का करना चाहीए और इस के तक़द्दुस को बरक़रार रखना चाआई। ये मेरा संजीदा ईक़ान है कि दस्तूर में एक ऐसी राह क़ायम की है जिस पर आमिला, लीजसलीचर और अदलिया को बहरहाल चलना होगा।
अगर हम में से कोई भी दस्तूरी भ्रम पर अमल करेगा, मैं समझता हूँ कि हर काम दरुस्त सिम्त में अंजाम पाएगा। वज़ीर-ए-क़ानून सलमान ख़ुरशीद के तबसरे से मुताल्लिक़ पूछे गए सवाल पर कि आली ताजरीन को महरूस करदेने से मुल्क में सरमाया कारी का अमल ठप हो जाता है।
मनमोहन सिंह ने कहा कि, ठीक है इस मसला मेरा तबसरा करना मुनासिब नहीं होगा। मेरे वज़ीर ने जो कुछ सोंचा है ये उन का ख़्याल ही। वज़ीर-ए-आज़म ने इस बात की निशानदेही की कि हमारे निज़ाम में कई क़ानूनी हल दस्तयाब हैं। जब कोई क़ानून का ग़लत इस्तिमाल करता है तो उसे बहरहाल जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ता है।
अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए क़ानूनी तौर तरीक़े भी मौजूद हैं। उन्हों ने इस बात की निशानदेही की कि हमारा मुल़्क जमहूरीयत पर अमल कररहा है जिस में तमाम तीन मुस्तहकम इदारे काम कररहे हैं और ये तीनों इदारे आमिला, अदलिया और लीजसलीचर हैं। उन्हें अपने महिदूद दायरे में ख़िदमत अंजाम देनी है।