मज़लूम शौहरों और उन के रिश्तेदारों की फ़र्याद पर कान्फ़्रैंस

ऑल इंडिया मुस्लिम फ्रंट की जानिब से डोरी केस यानी दफ़ा498(A) ताअज़ीराते हिंद के तहत बेजा झूटे मुक़द्दमात में गिरफ़्तारी और पुलिस की जानिब से ग़ैर ज़रूरी हिरासानी के ख़िलाफ़ जद्दो जहद का आग़ाज़ 7 अप्रैल 2012 से किया था क्योंकि ये वक़्त का अहम तरीन तक़ाज़ा था।

इस क़ानून के मुसबत नताइज कभी भी बरामद नहीं हुए बल्कि ये क़ानून शौहर और बीवी के लिए वबाल जान बन गया। सुप्रीम कोर्ट ने मुख़्तलिफ़ गोशों से दफ़ा 498(A) ताज़ीरात पर तन्क़ीदों और बिलख़ुसूस ऑल इंडिया मुस्लिम फ्रंट की जानिब से मुसलसल नुमाइंदगी और हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजेस की तशवीश को अहमीयत देते हुए इस क़ानून को चंद माह क़ब्ल बेअसर बना दिया और फ़ैसला सादिर किया।

इस सिलसिले में एक कान्फ़्रैंस बाउनवान मज़लूम शौहरों और उन के रिश्तेदारों की फ़र्याद का असर 21 मार्च को 11 बजे दिन उर्दू घर मुग़लपूरा में ज़ेरे सदारत अल्हाज मुहम्मद उसमान शहीद ऐडवोकेट सदर फ्रंट मुनाक़िद होगी जिस में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले की रौशनी में तफ़सीली सराहत की जाएगी।