इलहाबाद हाइकोर्ट की बेंच जो चीफ़ जस्टिस डी वाई चंद चूड़ और जस्टिस अशोक अरोड़ा पर मुश्तमिल थी, ने मफ़ाद-ए-आम्मा की रिट पर समाअत करते हुए रियासती हुकूमत को हिदायत दी है कि वो 6 हफ़्ता के अंदर उत्तरप्रदेश उर्दू की नौ तशकील करके अदालत को खबर करे।
पहले रियासती हुकूमत की जानिब से कहा गया कि उसने रियासत के महिकमा लिसानियात के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को उर्दू एकेडेमी का वाइस चेयरमेन बनादिया है जबकि सेक्रेटरी के ओहदा पर ए रिज़वान पहले ही से काम कररहे हैं। दर्ख़ास्त गुज़ार मुहम्मद फ़ारूक़ ने कहा कि उर्दू एकेडेमी के ज़ाबता क़ानून मजकूर ये 1972 की रो से एकेडेमी का चेयरमेन कोई उर्दू दां उर्दू अदीब ही बनाया जा सकता है कोई सरकारी अफ़्सर इसका चेयरमेन नायब चेयरमेन हो ही नहीं सकता है।
उन्होंने कहा कि इसी तरह एकेडेमी का सेक्रेटरी वही शख़्स बन सकता है जो बा एतबार ओहदा दीगर किसी महिकमा के सेक्रेटरी के बराबरी हो। मुहम्मद फ़ारूक़ ऐडवोकेट ने अपनी मफ़ाद-ए-आम्मा की रिट में कहा कि जब से अखिलेश यादव हुकूमत बरसर-ए-इक़तिदार आई है तब से उसने उर्दू एकेडेमी खत्म करदी।
अभी तक उसकी तशकील नौ नहीं की जिसकी वजह से रियासत में मुहब्बान उर्दू के ज़रूरी काम जिन का ताल्लुक़ उर्दू एकेडेमी से है वो मुअत्तल पड़े हुए हैं। दूसरी तरफ़ मुहम्मद फ़ारूक़ ऐडवोकेट ने उत्तरप्रदेश अक़लियती कमीशन की तशकील नौ की बाबत इलहाबाद हाइकोर्ट के 30 सितंबर के फ़ैसला पर अमल दरआमद ना किए जाने के ख़िलाफ़ रियासती हुकूमत के मुताल्लिक़ा सरकारी अहलकारों के ख़िलाफ़ पहले तौहीन अदालत का नोटिस दिया जवाब ना मिलने पर उन्होंने उन अहलकारों के ख़िलाफ़ तौहीन अदालत की दर्ख़ास्त हाइकोर्ट में गुज़ारी है जिस पर समाअत 4 दिसम्बर को होसकती है।