सी पी आई के सीनियर क़ाइद ए बी बर्धन ने आज कहा कि मामूल के मुताबिक़ बामानी हालत का हुसूल उस वक़्त तक नामुमकिन है जब तक कि फ़साद से मुतास्सिरा मग़रिबी यूपी के अज़ला फ़साद ज़दगान की मुकम्मल बाज़ आबादकारी नहीं की जाती और वो अपने मकानों को वापिस नहीं हो जाते।
बर्धन ने कहा कि फ़साद से मुतास्सिरा मग़रिबी यूपी में बामानी मामूल की सूरत-ए-हाल बहाल होना नामुमकिन है जब तक के फ़साद ज़दगान की बाज़ आबादकारी मुकम्मल ना की जाये। ये मुतास्सिरीन हुनूज़ आरिज़ी कैम्पों में मुक़ीम हैं और अपने घरों को वापिस आना चाहते हैं।
कुल हिंद तंज़ीम इंसाफ़, मुस्लमानों की एक सफ़ अव्वल की समाजी तंज़ीम की दो रोज़ा क़ौमी कान्फ्रेंस से इफ़्तिताही ख़िताब कररहे थे। तंज़ीम इंसाफ़ ऐसा रास्ता इख़तियार करना चाहती है जिस के ज़रीये इस बात को यक़ीनी बनाया जा सके कि अक़िलियतों के बारे में तमाम पालिसीयों पर मुख़्तलिफ़ रियास्ती हुकूमतों की तरफ से अमल आवरी की जाये।
दो रोज़ा क़ौमी कान्फ्रेंस में 28 रियास्तों के 300 से ज़्यादा मंदूब शिरकत कररहे हैं। बर्धन ने यू पी ए हुकूमत से मुतालिबा किया कि मुतास्सिरा अफ़राद को काफ़ी हिफ़ाज़ती इंतेज़ामात की फ़राहमी यक़ीनी बनाई जाये ताकि वो घर वापसी के बाद ख़ुद को महफ़ूज़ महसूस करसकें। उन्होंने कहा कि ये यूपी की समाजीवादी पार्टी हुकूमत का अव्वलीन फ़र्ज़ है कि तमाम बेघर लोगों को मुकम्मल तहफ़्फ़ुज़ फ़राहम किया जाये ताकि वो अपने घर वापिस आकर हसब-ए-मामूल ज़िंदगी गुज़ार सके।
अगर रियासती हुकूमत ऐसा करने से क़ासिर रहती है तो वो अपनी दस्तूरी ज़िम्मेदारी पूरी करने से क़ासिर रहेगी। जिस के तहत मुल्क के अवाम की ज़िम्मेदारी इस पर आइद होती है। क़ौमी कन्वीनर कान्फ्रेंस ए ए ख़ान ने अपनी तक़रीर में पुरज़ोर अंदाज़ में कहा कि तमाम ताक़तें जो फ़िर्क़ावाराना हम आहंगी की पाबंद हैं, क़ौमी तरक़्क़ी के लिए मुत्तहिद होजाएं। मुस्लिम बिरादरी के क़ाइदीन को ज़िम्मेदारी में शराक़तदारी करनी चाहिए और अक़िलीयतों के लिए फ़लाही स्कीमों के बारे में शऊर बेदार करना चाहिए।