हैदराबाद: उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान दक्षिणपंथी ताकतों द्वारा अपने सांप्रदायिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए तारेक फतह का इस्तेमाल करने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है |
तारेक फतह ने अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त करने के लिए सलमान रश्दी और तसलीमा नसरीन जैसे इस्लामोफोब्स की तरह रणनीति अपनायी है | तारेक फतह मुस्लिम और वामपंथियों के ख़िलाफ़ रहते हैं और वे पाकिस्तान विरोधी भी हैं | अपनी इन्हीं बातों की वजह से वह दक्षिणपंथी ताकतों और भारतीय मीडिया के चहेते बने हुए हैं |
उत्तर प्रदेश में सत्ता प्राप्त करने के लिए सांप्रदायिक नफरत फैलाने की कोशिश कर रही हैं | इसके लिए उनके द्वारा तारेक फतह का इस्तेमाल किये जाने की संभावना है| फतह को हिंदू सांप्रदायिक फासीवादी ताकतों द्वारा मुसलमानों की एक सच्ची आवाज के रूप में पेश किया जाता है| उनका मानना है कि मुस्लिम युवाओं द्वारा जिस इस्लाम को फॉलो किया जा रहा है वो इस्लाम नहीं है | इस तरह की राय के ज़रिये मुसलमानों को विभाजित करने की कोशिश की जा रही है |
ऐसे हालात में, मुस्लिम युवाओं को जागरूक किया जाना चाहिए कि वे नफरत फैलाने के नापाक रणनीति की चपेट में नहीं आयें |आरएसएस का नया पोस्टर बॉय ‘तारेक फतह’ पाकिस्तानी है | पाकिस्तान ने उन्हें देश में नफरत भड़काने की वजह से देश से निकाल दिया था | तब से दुनिया भर के मुसलमानों से नफरत करना और उनके ख़िलाफ़ नफरत फ़ैलाना है उसकी ज़िन्दगी का मक़सद बन गया है | वह अक्सर मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफरत और इस्लाम के ख़िलाफ़ बेतुका बयान को लेकर चर्चा में बना रहता है | उनकी इसी बात को देखते हुए आरएसएस उनसे खुश है और उन्हें ‘जिहादी’ विरोधी नागरिक के तौर पर पेश करेगी |