यूपी में मुस्लिम नौजवान क़ैदियों की रिहाई से मर्कज़ का इज़हार लाताल्लुक़ी

मर्कज़ ने दहश्तगर्दी के इल्ज़ामात पर मुबय्यना तौर पर ग़लती से माख़ूज़ मुस्लिम नौजवानों की रिहाई केलिए हुकूमत उत्तरप्रदेश के इक़दाम में अपनी मर्ज़ी शामिल होने से इनकार कर दिया है।

मर्कज़ का कहना है कि वो रियासत के मुआमलों में मुदाख़िलत नहीं करता। विज़ारत-ए-दाख़िला ने फ़ैसला किया है कि इस वज़ाहत के साथ इलहाबाद हाइकोर्ट को इत्तिला दी जाएगी कि यू पी में बेक़सूर मुस्लिम नौजवानों की रिहाई में मर्कज़ का कोई रोल नहीं है। ये नौजवान मुख़्तलिफ़ जेलों में महरूस हैं उन पर दहश्त कार्रवाइयां अंजाम देने का इल्ज़ाम है। इस मसले पर एक मफ़ाद-ए-आम्मा की दरख़ास्त की समाअत करते हुए इलहाबाद हाइकोर्ट ने मुस्लिम नौजवानों के ख़िलाफ़ मुक़द्दमात वापिस लेने यू पी हुकूमत के फ़ैसले पर हुक्म इलतेवा दिया है।

जस्टिस राजू शरण और महेंद्र दयाल पर मुश्तमिल बैंच ने यू पी हुकूमत को हिदायत दी है कि वो ये वाज़िह करे कि आया इसने इस तरह का फ़ैसला किस बुनियाद पर किया।

आया मुस्लिम नौजवानों को रिहा करने से क़ब्ल इसने मर्कज़ी हुकूमत से मुशावरत की है। जब हुकूमत ने कोई इतमीनान बख़्श जवाब नहीं दिया तो बैंच ने इस मुआमले को बड़े बैंच से रुजू कर दिया और मर्कज़ और रियासती हुकूमतों को हिदायत दी कि वो अपने जवाबात दाख़िल करें।