हैदराबाद 30 दिसंबर ( सियासत न्यूज़ ) : शहर हैदराबाद पुरअमन माहौल और आपसी भाई चारा की एक मिसाल समझा जाता है लेकिन वक़्त के साथ शहर की शक्ल-ओ-सूरत के इलावा शहर के नाम को तबदील करने की साज़िशों के इलावा शहर को क़तल-ओ-ग़ारत गिरी का मर्कज़ बनाने की साज़िशें जारी हैं और ये इत्तिफ़ाक़ की बात है कि आनधराई-ओ-राइलसीमाई अफ़राद मुबय्यना तौर पर इन सरगर्मीयों में मुलव्विस क़रार पाते हैं ।
और इस बात को कहना ग़लत नहीं होगा कि क़तल-ओ-ग़ारतगरी के इस माहौल को पैदा करने में मुक़ामी पुलिस की मुबय्यना लापरवाही भी एक हिस्सा के तौर पर रोल अदा कररही है जारीया साल क़तल-ओ-ग़ारतगरी का जायज़ा लें तो शहर में राइलसीमा गिरोह वारी सियासत के दो बड़े अफ़राद का दिन धाड़े बेरहमाना अंदाज़ से क़तल करदिया गया इन अफ़राद के क़तल के मंसूबा की साज़िश को अमली जामा पहनाने के लिए ताज्जुब है कि शहर हैदराबाद की सरज़मीन को इस्तिमाल किया गया । हालाँकि शहर की पुलिस के ताल्लुक़ से मशहूर है कि महिकमा के बासलाहीयत ओहदेदार वाक़िया की भिनक का पहले ही अंदाज़ा लगाए हैं जब कि ख़तरनाक तसव्वुर किए जाने वाले दो बड़े गिरोह के लीडर सूरी और पटोला गवर्धन का क़तल करदिया गया ।
पुलिस गवर्धन के क़ातिलों का सुराग़ लगाने में मसरूफ़ है जब कि सूरी के क़ातिल ताहाल पुलिस की गिरिफ़त से बाहर है । जो पुलिस की कारकर्दगी पर सवालिया निशान है । इन दोनों गिरोह के लीडरों के क़तल की साज़िश में उन के क़रीबी रफ़ीक़ों को इस्तिमाल किया गया । जो उन के बाएतिमाद साथी थे । सूरी का क़तल जनवरी में जुबली हिलज़ के इलाक़ा में किया गया और पटोला गवर्धन का क़तलसुलतान बाज़ार में किया गया । सूरी के क़ातिल इस के क़रीबी साथी भानू करण का ताहाल पुलिस को कोई सुराग़ नहीं । इस के ज़िंदा रहने पर भी कई शुबहात पाए जाते हैं । बड़े से बड़े दहश्तगर्द का पता चलाने वाली पुलिस एक क़ातिल का सुराग़ लगाने में नाकाम होगई ।
आख़िर ऐसे बड़े फ़ीकशन लीडरों के क़तल के लिए इस सरज़मीन का इस्तिमाल क्यों कररहे हैं । क्या इस साज़िश के पसेपर्दा कहीं सयासी मुहर्रिकात तो नहीं ? या फिर शहर हैदराबाद क़ातिलों की फ़हरिस्त में साज़गार शहर तो नहीं बन गया है । यहां क़तल की बड़ी से बड़ी साज़िश को बा आसानी अंजाम दिया जा सकता है । क़ातिल आते भी हैं क़तल की वारदात अंजाम भी देते हैं और बा आसानी शहर से निकल भी जाते हैं। जब कि पुलिस को इन का सुराग़ लगाने में भी कामयाबी नहीं मिलती । सूरी और गवर्धन का क़तल उन के क़रीबी साथीयों को इस्तिमाल करते हुए अंजाम दिया गया ।
एक मुजरिम पर पुलिस की बरवक़्त नज़र होती है तो क्या पुलिस ने मुबय्यना तौर पर कहीं जान बूझ कर तो लापरवाही नहीं की ? जहां तक शहर के माहौल को ख़राब करने और ग़ैर समाजी अनासिर की सरगर्मीयों का सवाल है । मुनश्शियात का चलन भी इन दिनों आम होता जा रहा है और कई वाक़ियात मंज़रे आम पर आरहे हैं । जाली करंसी , मुनश्शियात , गै़रक़ानूनी हथियारों के वाक़ियात दिन बा दिन बढ़ते जा रहे हैं और पुलिस का किरदार भी दागदार होता जा रहा है । जारीया साल हैदराबाद में दो पुलिस मुलाज़मीन को एक लड़की की इजतिमाई इस्मत रेज़ि के मुआमला में मुअत्तल करदिया गया । सिटी पुलिस इमकान है कि कल अपनी सालाना रिपोर्ट पेश करेगी।