लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकारों को निर्देश दिया कि वह एक आवेदन के जवाब में अपना प्रतिक्रिया। आवेदक ने चीफ़ मिनिस्टर यूपी योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को अयोग्य करार देने की अपील की है क्योंकि इन दोनों ने अपने संसदीय पदों से इस्तीफा नहीं दिया है।
लखनऊ बेंच हाईकोर्ट ने पहले अटॉर्नी जनरल को एक नोटिस जारी किया था। अटार्नी जनरल देश का सर्वोच्च कानूनी अक्सर होता है। जिससे ही अतिरिक्त जनरल अशोक मेहता और यूपी एडवोकेट जनरल राघवेनदर सिंह आज अदालत में हाजिर हुए। अदालत ने उनसे कहा कि वह एक जवाबी हलफनामा दाखिल करें ताकि इस मामले पर फैसला किया जा सके।
इस डिवीज़न बेंच जस्टिस सुधीर अग्रवाल और वीरेंद्र कुमार शामिल है। पीठ ने संजाय शर्मा की ओर से दाखिल किए गए आवेदन पर आदेश दिया है। आवेदक ने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि संविधान में स्पष्ट किया गया है कि किसी राज्य सरकार में मंत्री नहीं बन सकता। ानवहं ने मांग की कि मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश की स्थिति योगी आदित्यनाथ और डिप्टी चीफ़ मिनिस्टर के तौर पर केशव प्रसाद मौर्य को निर्धारित करना संविधान के मगायर है।
इसलिए दोनों के तक़र्रुत को पूर्ववत बताया जाए और उनकी सीटों के होने की घोषणा कर दी जाए। आदित्यनाथ गोरखपुर के सदस्य लोकसभा और मौर्य संसद के निचले सदन में खुलोपोर का प्रतिनिधित्व करते हैं। आवेदक ने संसदीय (काउंटर नाएकट) कानून संविधान बार 3 (A) का हवाला दिया और उसे चुनौती भी किया है।
केंद्रीय कानून संविधान में किया गया है कि अटार्नी जनरल सुनवाई के बिना इसका फैसला नहीं किया जा सकता। इसलिए अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। गौरतलब है कि आदित्यनाथ योगी को हाल के विधानसभा चुनाव में भाजपा की भारी सफलता के बाद मुख्यमंत्री बनाया गया और राज्य नेता मौर्य को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था।