नई दिल्ली: दिल्ली में 29 और 30 नवंबर को होने जा रहे किसान मुक्ति मार्च के लिए स्वराज इंडिया से जुड़े किसान आंदोलनकारी दिल्ली के बिजवासन इलाके में हज़ारों की संख्या में 28 नवंबर से ही पहुंचने लगे हैं। देशभर से आए किसान गुरुवार 29 नवंबर की सुबह बिजवासन से 26 किलोमीटर पैदल मार्च करते हुए शाम 5 बजे तक रामलीला मैदान पहुंचेंगे और 30 की सुबह संसद मार्च करेंगे।
स्वराज इंडिया से जुड़े बंगाल, बिहार, ओडिसा, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडू, कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के किसान दिल्ली पहुंच चुके हैं, जबकि पंजाब, हरियाणा और आसपास के दूसरे राज्यों के आंदोलनकारियों के आज ही देर शाम तक पहुंचने की ख़बर है। रामलीला मैदान में 29 की शाम किसानों के लिए ‘एक शाम किसानों के नाम’ सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया है। 30 नवंबर को किसान संसद मार्ग पर अपनी दो मांगों — किसानों की पूर्ण कर्जामुक्ति और फसलों की लागत का डेढ़ गुना की मांग के साथ संसद मार्च करेंगे।
29 नवंबर को स्वराज इंडिया और जय किसान आंदोलन से जुड़े करीब 5 हजार किसान बाहरी दिल्ली के बिजवासन से सुबह 8 बजे से रामलीला मैदान के लिए 25 किलोमीटर तक पैदल मार्च करेंगे। किसानों के 26 किलोमीटर के इस पैदल मार्च में दर्जनों की संख्या में किसान स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष और किसान नेता योगेन्द्र यादव के नेतृत्व में बिना जूते-चप्पल के नंगे पांव मार्च करेंगे। इस बीच अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति से जुड़े हजारों किसान दिल्ली के कई रास्तों से शाम 5 बजे तक रामलीला मैदान पहुंच जाएंगे।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्यवय समिति के बैनर तले 201 संगठनों ने पहली बार एकता कायम की है। ऐसा पहली बार है कि देश के किसान संगठन इतनी बड़ी संख्या में एकजुट हुए हैं। किसानों के साथ इस बार खेत मजदूर भी दिल्ली में दस्तक दे रहे हैं। लाखों की संख्या में पहुंच रहे किसान आंदोलन को डॉक्टरों, छात्रों, कलाकारों, पत्रकारों समेत समाज के कई तबकों से व्यापक समर्थन मिला है।
जय किसान आंदोलन के संयोजक और किसान मुक्ति मार्च से जुड़े अभिक साहा ने कहा कि हमारी सिर्फ दो मांगे हैं, पहली किसानों की पूर्ण कर्जामुक्ति और दूसरी लागत का डेढ़ गुना दाम। अगर सरकार हमारी इन दो मांगों को भी पूरा नहीं करती और उन मांगों के लिए होने वाले हमारे आंदोलन में पुलिस रोड़ा अटकाती है तो यह किसानों के साथ भारी विश्ववासघात होगा, जिसे किसान किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे।