रशीद मसूद भी भेजे गए जेल

राष्ट्रीय जनता दल के सरबराह लालू प्रसाद यादव के बाद सीबीआइ की खुसूसी अदालत ने आज (मंगल) कांग्रेस एमपी रशीद मसूद को जोर का झटका दिया। करप्शन/बदउनवानी के मामले में अदालत ने रशीद और दो साबिक सरकारी आफीसरो को चार-चार साल की सजा सुनाई है। सजा के ऐलान के साथ ही रशीद व दोनों साबिक आफीसरों को हिरासत में ले लिया गया।

सजायाफ्ता होने के साथ ही रशीद मसूद की राज्यसभा के रुक्नीयत ( Membership) जानी तय है। सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के मुताबिक दो साल से ज्यादा की सजा का ऐलान होने के साथ ही आवामी नुमाइंदे की मुताल्लिक ऐवान से रुक्नीयत खत्म हो जाएगी। रशीद की रुक्नीयत खत्म होने का ऐलान राज्यसभा के चेयरपर्सन के दफ्तर से की जाएगी।

Union Minister of State for Health रहे रशीद मसूद को यह सजा 23 साल पहले त्रिपुरा के मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की सीटों पर गलत तरीके से स्टूडेंट्स को दाखिला दिलाने को लेकर मिली है। इस मामले में यूनियन मिनिस्टर के तौर पर रशीद ने गलत तरीके से सिफारिश की थी। यह मामला 1990 का है रशीद को मुजरिमाना साजिश, धोखाधड़ी, जालसाजी, फर्जी दस्तावेज पेश करने और बदउनवानी के इल्ज़ाम में सजा हुई है।

खुसूसी अदालत के जस्टिस जेपीएस मलिक ने रशीद पर 60 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। अदालत ने मामले में साबिक आइपीएस आफीसर गुरदयाल सिंह और रिटायर्ड आइएएस आफीसर अमल कुमार रॉय के लिए चार-चार साल की सजा का ऐलान किया है।

खुसूसी अदालत ने धोखाधड़ी करके मेडिकल कॉलेज में दाखिला का फायदा लेने वाले नौ स्टूडेंट्स को भी एक-एक साल की सजा सुनाई है। इन सभी को 40-40 हजार रुपये का जुर्माना भी देना होगा। तीन साल से कम सजा मिलने की वजह से सभी नौ को अदालत ने जमानत दे दी। दो मुल्ज़िम दाखिले के वक्त नाबालिग थे। इनमें से एक रशीद मसूद का भतीजा है। इनके मामले 25 जनवरी, 2007 को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को ट्रांसफर कर दिए गए थे।

सजा सुनाए जाने से पहले ही राज्यसभा के रुकन रशीद मसूद के चेहरे पर जेल जाने का डर और मायूसी के मिले जुले भाव साफ नजर आ रहे थे। कमजोरी और खड़े न होने की वजह से घर वालो ने उन्हें सहारा देकर कुर्सी पर बैठाया। तीसहजारी कोर्ट में जस्टिस जेपीएस मलिक ने दोपहर 2:30 बजे फैसला सुनाया तो वह कुर्सी से खड़े हो गए लेकिन फिर अपना सिर पकड़ कर बैठ गए। उनके साथ मौजूद कुछ लोगों ने उन्हें संभाला। जब उन्हें पुलिस हिरासत में लिया गया तो उनका पूरा जिस्म पसीना-पसीना हो गया। पुलिस के मुलाज़िम उन्हें सहारा देकर जेल ले गए। बाद में उन्होंने मीडिया से बातचीत में खुद को पूरी तरह से बेकसूर बताया।

‘कानून बनाने वाले ने कानून तोड़ने का काम किया। जिन पर कानून की दिफा करने का फर्ज़ था, वे ही कानून के पेटू बने।’

– वीएन ओझा, सीबीआइ के वकील

रशीद मसूद का सियासी सफर

‍साल 1974 में नकुड़ असेम्बली से पहला इलेक्शन लड़े और हार गए।

साल 1977 में जनता पार्टी से लोकसभा का इलेक्शन सहारनपुर सीट से जीते।

साल 1980 में लोकदल से सहारनपुर सीट से लोकसभा इलेक्शन जीते।

साल 1984 में लोकसभा का इलेक्शन भारतीय किसान कामगार पार्टी से इलेक्शन लड़े और हारे।

साल 1986 में राज्यसभा के मेम्बर लोकदल से बने।

साल 1989 में जनता दल से लोकसभा का इलेक्शन जीते और मरकज़ी हुकूमत में हेल्थ मिनिस्टर रहे।

साल 1991 में लोकसभा का फिर जनता दल से इलेक्शन जीते।

साल 1996 में लोकसभा का इलेक्शन सपा से लड़े और बीजेपी के नकली सिंह से हारे।

साल 1997 में लोकसभा का इलेक्शन सपा से हारे।

साल 1999 में लोकसभा का इलेक्शन राष्ट्रीय लोकदल से लड़े और हारे।

साल 2004 में लोकसभा का इलेक्शन सपा से लड़े और जीते।

साल 2009 में लोकसभा का इलेक्शन सपा से लड़े और हारे।

साल 2010 में कांग्रेस ने राज्यसभा में भेजा और साल भर में ही एपीडा का चेयरमैन बना दिया।

मुख्तसर तआरुफ
नाम : काजी रशीद मसूद

वालिद का नाम : महरूम काजी मसूद

पैदाइश की तारीख : 15 अगस्त 1947

तालीम : एमएम एलएलएम

————-बशुक्रिया: अमर उजाला