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राफेल डील से जुड़ी लीक दस्तावेजों को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार किया

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने बुधवार, 10 अप्रैल को राफेल समीक्षा याचिकाओं पर केंद्र की प्रारंभिक आपत्तियों को खारिज कर दिया और राफेल आदेश की फिर से जांच करने के साक्ष्य के रूप में तीन “वर्गीकृत” दस्तावेजों की स्वीकार्यता की अनुमति दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि राफेल जेट की खरीद के खिलाफ सभी याचिकाओं को खारिज करने के 14 दिसंबर के फैसले के खिलाफ याचिका की समीक्षा की जाएगी। अदालत ने आगे कहा कि वह अब समीक्षा याचिकाओं की सुनवाई के लिए तारीख तय करेगी। इसे मोदी सरकार के लिए झटका माना जा रहा है। सरकार की दलील को सुप्रीम कोर्ट ने मानने से इनकार कर दिया है। आप को बता दें कि राफेल डील की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पहले के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी। दक्षिण भारत के एक मशहूर पेपर में रक्षा मंत्रालय की नोटिंग छापी गई थी जिसमें ये बताया गया था कि किस तरह से पीएमओ ने रक्षा मंत्रालय की आपत्तियों को दरकिनार कर दिया।

इस संबंध में सरकार की तरफ से कहा कि ये ऑफिसियस सेक्रेट्स एक्ट का मामला है और चुराए गए दस्तावेजों को सबूतों के तौर पर नहीं पेश किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने 14 मार्च को उन विशेषाधिकार वाले दस्तावेजों की स्वीकार्यता पर केंद्र की प्रारंभिक आपत्तियों पर फैसला सुरक्षित रखा था जिन्हें पूर्व केंद्रीय मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी तथा वकील प्रशांत भूषण ने शीर्ष अदालत के 14 दिसंबर के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका में शामिल किया था। 14 दिसंबर के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे के खिलाफ सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था।

पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई के बारे में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने कहा कि अदालत इस संबंध में आगे चलकर विस्तृत सुनवाई के बारे में जानकारी देगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब राजनीतिक हल्कों से प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो चुकी है। सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने बताया कि मोदी सरकार राष्ट्रीय सुरक्ष के साथ खिलवाड़ कर रही है। इस संबंध में पुनर्विचार याचिका से जुड़े याची अरुण शौरी ने कहा कि अदालत के फैसले से साफ है कि मोदी सरकार किस तरह व्यवस्थाओं पर हमला कर रही है।

कांग्रेस ने बुधवार को SC के फैसले की सराहना की, जिसमें रफेल फैसले की समीक्षा के लिए याचिकाकर्ताओं द्वारा लीक किए गए दस्तावेजों का इस्तेमाल करने की इजाजत देते हुए कहा गया था कि “घोटाले” में कंकाल बाहर गूंज रहे हैं और अब मोदी सरकार के पीछे छिपने के लिए “कोई आधिकारिक रहस्य अधिनियम” नहीं है.

कांग्रेस ने मंगलवार को राफेल मामले को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला और आरोप लगाया कि रक्षा खरीद प्रक्रिया में संशोधन करके इस विमान सौदे में कुछ लोगों को फायदा पहुंचाया गया जिससे साबित हो गया कि यह स्वतंत्रता के बाद भारत का सबसे बड़ा घोटाला है। पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने मीडिया से कहा, ‘राफेल पर रोज कुछ न कुछ खुलासे हो रहे हैं। मोदी सरकार कुछ भी कर ले, यह घोटाला उनका पीछा नहीं छोड़ने वाला है।’

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