नई दिल्ली। देश के बिजली क्षेत्र की प्रगति की राह में रोड़ा बने बिजली चोरों के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई राष्ट्रीय स्तर पर शुरु हो गई है। यह लड़ाई पिछले वर्ष राज्यों की खस्ताहाल बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) की स्थिति को सुधारने के लिए लांच की गई उदय योजना के तहत शुरु हुई है।
एक वर्ष के भीतर ही देश के जिन 27 राज्यों में यह योजना शुरु हुई है उनमें से 23 राज्यों में बिजली चोरी से होने वाली हानि में भारी कमी हुई है। बिजली चोरी कम होने से राज्यों के बिजली बिल संग्रह में भी वृद्धि के संकेत हैं।
इसका नतीजा यह रहा है कि पिछले एक वर्ष में राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों के संयुक्त घाटे में 11 हजार करोड़ रुपये की कमी हुई है।
जिन 27 राज्यों में अभी तक उदय योजना लागू की गई है उनमें से 23 राज्यों में पिछले छह महीने से एक वर्ष के भीतर ट्रांसमिशन व वितरण (टीएंडडी) से होने वाली हानि में काफी कमी आई है। मणिपुर, झारखंड, हरियाणा, गोवा, राजस्थान, उत्तराखंड व गुजरात उन राज्यों में शामिल हैं जिन्होंने टीएंडडी से होने वाली हानि पर काफी लगाम लगाई है।
इन राज्यों में टीएंडडी का स्तर वर्ष 2016-17 में 20.2 फीसद रही है। जबकि एक वर्ष पहले यह स्तर 25 फीसद के करीब था। बिहार, यूपी, राजस्थान जैसे राज्यों में तो यह 35 फीसद के करीब था। बताते चलें कि बिजली चोरी टीएंडडी से होने वाले घाटे की सबसे बड़ी वजह होती है।
यूपी में टीएंडडी हानि 32 फीसद के करीब थी और इसकी एक बड़ी वजह यह थी कि वहां 68 लाख बिजली कनेक्शन पूरी तरह से चोरी से चलाये जा रहे थे। अब ताजा आंकड़े बता रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में पिछले छह महीने में राज्य सरकार की तरफ से बिजली खरीद में 15.5 फीसद का इजाफा हुआ है। जबकि बिजली बिल संग्रह में 28.5 फीसद की वृद्धि हुई है।
राज्य में बिजली चोरी के खिलाफ चलाये गये अभियान की वजह से यह संभव हुआ है। बिजली मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक दो वर्ष पहले तक बिजली घाटे में सबसे ऊपर यूपी, तमिलनाडु और राजस्थान की बिजली वितरण कंपनियों का स्थान था।
लेकिन पिछले एक वर्ष में इन तीनों राज्यों की डिस्कॉम के सालाना घाटे में दो तिहाई से तीन चौथाई तक की कमी हुई है। हरियाणा की सरकारी बिजली वितरण कंपनी का सालाना घाटा 90 फीसद तक कम हुआ है।
सनद रहे कि उदय योजना के तहत डिस्कॉम के घाटे की राशि के एक बड़े हिस्से की भरपाई राज्य सरकार बांड्स जारी कर करते हैं। राज्यों की तरफ से अभी तक 2.32 लाख करोड़ रुपये के बांड्स जारी हो चुके हैं। इससे डिस्कॉम पर बकाये बैंकों के कर्ज की राशि में 46 फीसद तक की कमी हुई है।