2014 के बाद 2019 में कांग्रेस की करारी हार. बतौर सांसद अमेठी से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की हार के बाद कांग्रेस की फैसले लेने वाली सबसे बड़ी बॉडी कार्यसमिति की बैठक होने वाली है. सूत्रों की मानें तो इस बैठक में हार पर चर्चा तो होगी ही, साथ ही खुद राहुल पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश करने वाले हैं. दरअसल, राहुल अक्सर जवाबदेही की बात करते आए हैं. ऐसे में पार्टी और अमेठी में खुद की हार के बाद राहुल दबाव में हैं.
सूत्रों के मुताबिक, राहुल 23 मई को हार के बाद खुद सोनिया गांधी से इस्तीफा देने की पेशकश कर चुके थे. वो गुरुवार शाम की प्रेस कॉन्फ्रेंस में बाकायदा घोषणा भी करने वाले थे. लेकिन सोनिया ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से सलाह मशविरा कर राहुल को समझाया कि वो पार्टी अध्यक्ष हैं, इसलिए जो कहना-करना है वो कार्यसमिति की बैठक में करें. इसके बाद राहुल मान गए, इसलिए इस्तीफे के सवाल पर राहुल बोले कि ये मेरे और कार्यसमिति के बीच का मामला है.
सूत्रों के मुताबिक, कार्यसमिति की बैठक में हार के कारणों पर भी चर्चा होगी. कुछ नेता चौकीदार चोर है जैसे नारे के जरिए मोदी पर जरूरत से ज़्यादा व्यक्तिगत प्रहार, कुछ बालाकोट पर सैम पित्रोदा के उठाये सवाल, कुछ मणिशंकर अय्यर के बयानों को लेकर पार्टी को हुए नुकसान की बात उठा सकते हैं.
हालांकि, पार्टी के एक तबके के ये भी मानना है कि मोदी के मुकाबले विपक्षी सहयोगियों के दबाव में राहुल को पीएम उम्मीदवार घोषित नहीं कर पाई. वहीं विपक्ष का कोई और नेता पैन इंडिया इमेज नहीं रखता ,जो खुद पीएम उम्मीदवार बन सके. ऐसे में मोदी के सामने कौन के सवाल ने भी मोदी को बढ़त दी.
वैसे अगर फ्लैशबैक में जाएं तो 2014 में भले ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी रही हों, लेकिन प्रचार का जिम्मा उस वक्त पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी में ही संभाला था. तब हार के बाद हुई कार्यसमिति की बैठक में सोनिया ने इस्तीफे की पेशकश कर दी थी, जिसे कार्यसमिति ने सिरे से खारिज कर दिया था.
ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि इस बार कार्यसमिति 2014 का फ्लैशबैक दोहराएगी या फिर राहुल पद छोड़ने पर अड़ेंगे. दरअसल राहुल को मनाने की कोशिश आखिरी वक्त तक जारी रहने वाली है क्योंकि सभी मान रहे हैं कि राहुल ने इस्तीफा दिया तो फिर वो मानेंगे नहीं. राहुल नहीं चाहेंगे कि इस्तीफे की पेशकश और फिर वापसी पर सवाल उठे.
हालांकि, आपसी बातचीत में कांग्रेस नेता कह रहे हैं कि राहुल गांधी नहीं तो कौन? और कोई पार्टी नहीं चला सकता. कुछ यहां तक कहते हैं कि गांधी परिवार नहीं रहेगा तो पार्टी ही बिखर जाएगी. वहीं बालाकोट पर उठाए गए सवालों को और मोदी पर जरूरत से ज्यादा व्यक्तिगत प्रहार को हार का कारण बता चुके लाल बहादुर शास्त्री के बेटे और कांग्रेस नेता अनिल शास्त्री का कहना है कि हार की समीक्षा हो, उपेक्षित लोगों से भी बात हो. लेकिन राहुल को इस्तीफा देने की जरूरत नहीं.
हार तो इंदिरा की भी हुई थी पर फिर जीत हुई. कुल मिलाकर कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक में काफी कुछ होने वाला नजर आ रहा है. अब गांधी परिवार के रणनीतिकार किसी स्क्रिप्ट के सहारे चलेंगे या बैठक में सब कुछ अनायास ही होगा, इसके लिए बैठक पर ही नजर रखनी होगी.