सात नुकाती मुतालिबात को लेकर रियासत के 875 कॉलेज-कॉलेजों में बुध को ताला लटका रहा। इस दौरान पढ़ाई ठप रही। वहीं, दिनभर मुजाहिरा किया गया। इसमें 525 मंजूरी हासिल हाइ स्कूल, 300 मुस्तकिल इंटर कॉलेज और 25 मुस्तकिल मंजूर हासिल संस्कृत स्कूल और मदरसा स्कूल शामिल हैं।
असातिज़ा का कहना है कि जब तक उनकी मुतालिबात पूरी नहीं होतीं, तब तक ताला लटका रहेगा। तहरीक को कामयाब बनाने को लेकर झारखंड रियासत फाइनेंस बेगैर तालीम मुश्तरका जद्दो-जहद मोर्चा की बैठक सवरेदय बाल निकेतन हाइ स्कूल धुवाई में हुई।
इसमें चार नुकातों पर बहस की गई। कहा गया कि जैक और डीईओ दफ्तर से स्कूल-कॉलेजों के प्रिन्सिपल एडमिट कार्ड नहीं लेंगे। 15 को जैक और डीइओ को इम्तिहान लेने से इंकार का खत देंगे। बैठक में सुरेंद्र झा, रघुनाथ सिंह, हरहिर प्रसाद कुशवाहा, अरविंद सिंह, विजय झा समेत दीगर असातिज़ा मौजूद थे।
19 फरवरी को घेरा डालो-डेरा डालो प्रोग्राम : सदर मंडल के रुक्न नरोत्तम प्रसाद सिंह ने कहा मुतालिबात को लेकर वजीरे आला, तालीम वज़ीर और तालीम सेक्रेटरी को कई बार मेमोरेंडम दिया गया।
इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। 19 फरवरी को बिरसा चौक पर घेरा डालो-डेरा डालो प्रोग्राम होगा। फिर भी उपाय नहीं निकला तो 21 फरवरी से वज़ीर और एमएलए के रिहाइशगाह का घेराव होगा। कायम इजाजत हासिल और मुस्तकिल मंजूरी हासिल स्कूलों को दो साल का एक्सटेंशन नहीं मिलने के विरोध में झारखंड रियासत फाइनेंस बिना तालीम संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने रांची, दुमका और पलामू के इंटर कॉलेजों को जैक के मुक़ामी दफ्तर से एड्मिट कार्ड नहीं लेने का ऐलान किया है।
मोर्चा सदर मंडल के रुक्न हरिप्रसाद कुशवाहा ने कहा कि 13 माह से इंटर कॉलेजों की ग्रेडिंग नहीं हुई है। नवंबर 2012 में कैबिनेट की ऐलान के बाद भी अधिग्रहण और घाटानुदान मामले पर अभी तक अमल नहीं हुआ है। इंटरमीडिएट मंजूरी दस्तूरुल अमल -2005 और हाइ स्कूल मुस्तकिल मंजूरी दस्तूरुल अमल -2008 में तरमीम तजवीज 16 माह से काबीना में नहीं गया है। मंजूरी हासिल स्कूलों को क़ौमी मिडिल तालीम मुहिम से नहीं जोड़ा गया। तंख्वाह भी अभी तक तय नहीं किया गया है।
इसके अलावा वज़ीर कोनसिल के फैसले के बाद मदरसों को ग्रांट नहीं मिला। दुमका वज़ीर कोनसिल -2011 के फैसले के बाद भी बिहार मंजूरी दस्तूरुल अमल -1976 के मुताबिक 90 दिनों में मंजूरी देकर बिहार की तर्ज पर ग्रांट देने के फैसले का अब तक पालन नहीं हुआ। काम क इजाजत हाइ स्कूलों को 5 सालों के रेजिस्ट्रेशन के लिए मुद्दत तौसिह नहीं किया गया।