रेपिस्टों को नामर्द बनाने के तरीके पर छिड़ी बहस

नई दिल्ली, 02 जनवरी: दिल्ली गैंगरेप के बाद मुल्क में रेपिस्टो को नामर्द बनाए जाने और फांसी दिए जाने की मांग जोरों पर है। इसी बीच इस बात पर भी एक बहस शुरू हो गई है कि रेपिस्टों को नामर्द कैसे बनाया जाए?

दिल्ली गैंगरेप के बाद ऐसे मामलों में मुल्ज़िमो को कीमीयाई अमल से नामर्द बनाना कांग्रेस के उन तजवीजो में शामिल हैं जिन्हें वो जस्टिस जेएस वर्मा की कियादत वाली कमेटी को सौंपेंगे। लेकिन डॉक्टरों ने आबरूरेज़ि करने वाले मुल्ज़िमो का केमिकल कास्ट्रेशन नहीं, बल्कि सर्जिकल कास्ट्रेशन की वकालत की है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मुताबिक किसी शख्स को मात्र तीन महीनों के लिए ही कीमीयाई अमल (Chemical process) से नामर्द बनाया जा सकता है। आईएमए के सदर डॉक्‍टर के. विजय कुमार के मुताबिक अभी तक ऐसी कोई दवा नहीं बनी है, जो किमीयाई अमल से ताउम्र नामर्द बना सके। इसलिए डॉक्टर इसे सही नहीं मान रहे हैं।

तो ऐसे में खातियों को ताउम्र नामर्द बनाने की बात लोगों के जज़बातो से सिर्फ खिलवाड़ ही नजर आ रहा है। अगर बलात्कारी को आजीवन नाम्र्द बनाना है, तो ऑपरेशन कर उसका अंडकोश (Scrotum) ही निकालना पड़ेगा। जबकि तजवीज़ कानून में ऐसा नहीं है।

आखिर क्या है केमिकल कैस्ट्रेशन
केमिकल कैस्ट्रेशन में मरीज को एक किमीयाई (Chemical) इंजेक्शन दिया जाता है जिससे वो एक तरह से नामर्द बन जाता है। इसमें मरीज के ‘टेस्टिस’ यानी वीर्यकोष को निकाला नहीं जाता लेकिन वो काम नहीं कर पाता। उसके हॉरमोन नहीं बनते जिससे उसमें सेक्स करने की खाहिंश नहीं रहती।

इस दवा का पहले फिलहाल प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों के लिए किया जाता है। लेकिन फिलहाल दुनिया भर में जो ड्रग्स मौजूद है वह केवल तीन महीने के लिए कारगर हैं। अगर यह सही है तो एक साल के लिए एक मुजरिम को चार बार इंजेक्शन लगाने की जरूरत होगी और यह काम रीयासत की हुकूमत को करना होगा। यही वजह है कि डॉक्टर भी सर्जिकल कास्ट्रेशन की बात को ज्यादा मुनासिब बता रहे हैं।