लखनऊ। नवाबों के शहर लखनऊ में चूहों की अंधेरगर्दी से परेशान होकर रेलवे अधिकारियों ने एक निजी कंपनी को उनके नाम की सुपारी दी है। कंपनी को अगले तीन से चार महीने में उन्हें निपटाने को कहा गया है।
दरअसल, चूहों का चारबाग़ रेलवे स्टेशन से आरपीएफ कॉलोनी,माल घर, रिटायरिंग रूम्स, ऑफिसेस, आरपीएफ , जीआरपी थानों, कैंटीन आदि में बड़ा आतंक है। अबतक रेलवे संपत्तियों और रेल यात्रियों को लाखों रूपये की चपत लगा चुके हैं। इससे परेशान होकर जुलाई 2013 में एक निजी कंपनी को रेलवे ने उन्हें निपटने का 3.50 लाख रुपये में ठेका दिया था, पर उनके खिलाफ अभियान चलाने के बावजूद खास सफलता नहीं मिली थी। इस लिए उनके नाम की सुपारी इस बार एक अन्य कंपनी को दी गई है। वह भी 4.76 लाख रूपये में। ठेका मिलने के बाद से कंपनी ने चूहों की घेराबंदी अप्रैल से ही शुरू कर दी थी। इस क्रम में चूहों के तमाम बिलों का सर्वेक्षण कराया गया और मारने की सॉलिड रणनीति बनाई गई। 2013 में चूहों को मारने के लिए जो दवाई दी गई थी वह कारगर साबित नहीं हुई थी। मगर इस बार चूहे बच नहीं पाएंगे। लखनऊ के सीनियर डीसीएम अजीत कुमार सिन्हा कहते हैं पिछले एक सप्ताह में 60 से अधिक मूसों को निपटा भी दिया गया, जिसकी पुष्टि रेलवे के मुख्य स्वास्थ्य निरीक्षक ने की है।