बाली वुड एक्ट्रेस हुमा कुरैशी ने कहा कि मेरा ख़ानदान एक मज़हबी ख़ानदान है जहां रिवायतों का पास-ओ-लिहाज़ रखा जाता है। अगर वो फिल्मों में आचुकी हैं तो इस का मतलब ये नहीं है कि उन्होंने अपनी मज़हबी शनाख़्त को तर्क करदिया है।
रमज़ानुल-मुबारक पर तबसरा करते हुए उन्होंने कहा कि इस साल वो ज़्यादा रोज़े नहीं रख पाएं क्यों कि कुछ कमेटमनटस इतने थका देने वाले थे कि इस में रोज़ा रखना मुश्किलात में डाल सकता था। बहरहाल उन्हें रोज़ा रखना बहुत पसंद है जो अल्लाह की जानिब से Dieting का एक जरिए है। जिस के जरिए पेन की कई बीमारियों का ईलाज मुम्किन है। रोज़ा कैलोरीज़ को क़ाबू में रखता है।
उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि ये अलग बात है कि रमज़ानुल-मुबारक में मुख़्तलिफ़ शहरों में ख़ुसूसी डिश तय्यार की जाती हैं। उन्होंने कहा कि मुंबई में रहते हुए वो खीचड़े, मालपवे और मटन कटलेटस का भरपूर लुतफ़ लेती हैं। जब कि लखनऊ में लखनवी बिरयानी को हैदराबादी बिरयानी का हमअसर कहा जा सकता है। और हैदराबाद शहर की हलीम का सारे आलम में चर्चा है।
मेरी वालिदा अक्सर कहती हैं कि रोज़ा के बाद ज़्यादा खाने से परहेज़ करना चाहिए और बहैसियत एक एक्ट्रेस में ज़्यादा खाने से यूँ भी परहेज़ ही करती हूँ। अलबत्ता ईदुल्फितर के दिन शेर ख़ुर्मा और बिरयानी खाने से उन्हें कोई नहीं रोक सकता। वो हमेशा सैर हो कर खाती हैं और मुकम्मल आराम करती हैं।