लखनऊ। अखिल भारतीय मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर ने कहा है कि फरवरी 1997 में पीजीआई रोड पर महिलाओं के लिए स्थापित मस्जिद अब सौर ऊर्जा से रौशन होगी। महिलाओं के मौलिक अधिकारों के लिए लड़ने वाली शाइस्ता ने अपने नाम एक और कामयाबी को जोड़ लिया है।
महिलाओं के लिए बनाई गई इस मस्जिद को बाद में पुरुषों के लिए खोल दिया गया था। उनका कहना है कि लखनऊ की हवा की गुणवत्ता में सुधार की दिशा में एक अनोखी पहल है। इस मस्जिद की बुनियाद प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान हजरत अली मियां नदवी रहमतुल्लाह अलैहि द्वारा दूसरे आलिमों की मौजूदगी में रखी गई थी।
अम्बर ने बताया कि मुस्लिम महिलाओं के लिए एक बेहतर जीवन प्रदान करने के लिए अखिल भारतीय मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की स्थापना की गई है। मस्जिद मुस्लिम समुदाय की महिलाओं को तलाक़ जैसे मामलों पर सहायता प्रदान करने लड़कियों को शिक्षा तथा जरूरतमंदों को दवाएं भी मुहय्या कराती है। कोयले के हानिकारक प्रभावों का पता चलने के बाद ही सौर ऊर्जा के इस्तेमाल का निर्णय लिया गया।
शाइस्ता अंबर ने बताया कि वह मूलतः इलाहबाद से है और साल 1997 में शहर की एक मस्जिद में उसको जाने से रोक दिया था, उस समय मेरा आठ साल का पुत्र साथ था और यह जुम्मा का दिन था। वहां के मौलाना ने कहा था कि हम बच्चे को नमाज़ पढ़ा देंगे लेकिन आप मस्जिद में नमाज़ नहीं अदा कर सकती हो।
इसी घटना ने मुझको मस्जिद बनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि लोगों को अल्लाह की सौगात सौर ऊर्जा का फायदा उठाना चाहिए। शाइस्ता लंबे समय से मुस्लिम महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर काम रही हैं।