लालू को झटका, केस मुन्तक़्लि करने की दरख्वास्त मुस्तर्द

रांची 1 जुलाई : झारखंड हाई कोर्ट ने चारा घोटाले से जुड़े एक मामले को प्रभास कुमार सिंह की अदालत से दूसरी खुसूसी सीबीआई अदालत में मुन्तक़िल करने और एक और गवाह से जिरह करने की राजद सरबराह लालू प्रसाद की दरख्वास्त को मुस्तर्द कर दिया।

जस्टिस आर आर प्रसाद की अदालत ने दरख्वास्त को मुस्तर्द कर दिया। 28 जून को अदालत ने लालू प्रसाद की तरफ से वकील राम जेठमलानी की दलील सुनने के बाद दरख्वास्त पर फैसला महफूज रखा था।

लालू ने आरसी20ए मामले को किसी दीगर सीबीआई अदालत में मुन्तक़िल करने का दरख्वास्त किया था क्योंकि उनका कहना था कि उन्हें प्रभास कुमार सिंह की खुसूसी सीबीआई अदालत से इन्साफ मिलने की उम्मीद नहीं है। उन्होंने इलज़ाम लगाया कि इनका मुबैय्ना तौर पर बिहार के दो जदयू कायेदिनों से ताल्लुक है जो उनकी सियासी तौर पर मुखालिफ पार्टी है।

लालू प्रसाद की तरफ से दलील देते जेठमलानी ने कहा था कि इसी बुनियाद पर पशुपालन मामले को प्रभास कुमार सिंह की अदालत से मुन्तक़िल किया जाना चाहिए। जेठमलानी ने कहा कि पशु पालन घोटाले में 76 गवाह थे लेकिन सिर्फ 17 गवाहों से जिरह की गयी। उन्होंने इस मामले में एक दीगर गवाह से जिरह की मांग की।

24 जून को सुप्रीम कोर्ट के वकील सुरेंद्र कुमार ने प्रभास कुमार सिंह की खुसूसी अदालत को इत्तेला किया था कि हाई कोर्ट का हुक्म आने तक उनके मुव्वकिल की तरफ से जिरह को रोक दिया जाये।

सीबीआई अदालत गुजिस्ता एक महीने से दलीलों को सुन रही है और 20 जून को उसने लालू प्रसाद समेत चारा घोटाले के 45 मुजरिमों को एक जुलाई तक जिरह पूरी करने का हुक्म दिया था।
अदालत ने आरसी 20ए-96 मामले में फैसले की तारीख 15 जुलाई मुक़र्रर की थी जिसमें मुबिना तौर पर 1990 में चाईबासा सरकारी खजाने से गलत तरीके से 37.7 करोड़ रुपये निकाले गये थे। आरसीए-96 मामले में 56 में 45 मुलजिम है, जबकि बाकी या तो गवाह बन गये या उनका इन्तेकाल हो गया।

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