लालू प्रसाद यादव न भरी हुंकार, बोले- ‘मैं कैद में हूं, मेरे विचार नहीं’

जेल में बंद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने पहले चरण की मतदान की पूर्व संध्या पर राज्य के लोगों के नाम एक खुला पत्र जारी किया है। तीन पेज के पत्र में दलित व बहुजन से एक होकर दिल्ली की सत्ता पर कब्जा करने की अपील की है।

प्रभात खबर के अनुसार, भावनात्मक मार्मिक अपील वाले इस पत्र में तीन तस्वीरें भी हैं। एक में बीमार लालू लेटे हैं, तो कुर्सी पर तेजस्वी बैठे हैं। दूसरी तस्वीर में बीमार लालू के पैर के पास राबड़ी देवी बैठी हैं। एक चित्र उस समय की है, जब लालू प्रसाद को इलाज के लिए ट्रेन से दिल्ली ले जाया जा रहा था। लालू ने लिखा है, मेरे गले में सरकार और चालबाजों का फंदा कसा है।

उम्र और शरीर भी साथ नहीं दे रहा, फिर भी ललकार कम नहीं होगी. पत्र में लिखा गया है कि इस वक्त जब बिहार एक नयी गाथा लिखने जा रहा है, तो मैं रांची के अस्पताल में अकेले में बैठकर सोच रहा हूं, मैं कैद में हूं, मेरे विचार नहीं।

इस बार का चुनाव पहले जैसा नहीं है। इस बार सब कुछ दांव पर है. हक और आपकी इज्जत व गरिमा सब दांव पर हैं। लड़ाई आर-पार की है। पत्र में उन्होंने लिखा है कि यह सरकार नौटंकी संरकार है।

दलित-बहुजन को कहा जाता है, कुछ सोचो-समझो मत, सिर्फ गुलाम की तरह हमारा हुकुम बजाओ। हमको भी अपने मायाजाल में लपेटकर तोड़ने की जी तोड़ कोशिश की।

सत्ता में और देश के संसाधनों में आबादी के आधार पर हिस्सेदारी मांगने पर परेशान किया जाता है। इस बार वाला चुनाव सरकार और गद्दार दोनों को पहचानने का है। अगर चूक गये तो हमेशा के लिए चूक जाइयेगा। इस बार दुश्मन आपके ताकत को तौल रहा है।

कभी बिना दस्तावेज और सर्वेक्षण के सवर्णों को आरक्षण देकर तो कभी रोस्टर सिस्टम को बदल कर या फिर अनुसूचित जाति पर उत्पीड़न के कानून को कमजोर कर।